मिथिला की बेटी सिंपी को सलाम, बेटा बन किया विधिवत पिता का अंतिम संस्कार और श्राद्ध कर्म

कोरोना के इस महाकाल में जहां एक ओर लोग मृतकों को छोड़ देते हैं और उनका दाह संस्कार भी नहीं करते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस महामारी के दौर में उदाहरण प्रस्तुत कर एक नया संदेश देते हैं, ताजा मामला झारखंड की राजधानी रांची से है, बताया जा रहा है कि पृथ्वीराज झा नामक एक आदमी के निधन होने पर उनकी दो बेटियों ने ना सिर्फ उनका अंतिम संस्कार किया बल्कि 12वीं और 13वीं के दिन विधिपूर्वक महापात्र के द्वारा पिंड दान कर उनक श्राद्ध कर्म को संपन्न किया।

सुजीत झा लिखते हैं कि स्व पृथ्वीराज झा आइ अपन दुनु बेटी के देखि गौरवान्वित होइत हेताह।दुनु बेटी मुखाग्नि स ल पंचदान श्राद्ध तक विधि विधान स संपादित क रहल छन्हिं। आई द्वादश कर्म छन्हिं।


आजुक विकराल समय मे जतऽ अपन बेटा पुतहु और समाज अपन माता पाता के अंत्योष्ठी तक नै करैत छैक ओहि ठाम हिनक श्राद्ध कर्म पुत्र नै रहला के वादो और एकटा बेटी के विवाह भेला के उपरान्तो विधि विधान संग संपादित भ रहल छन्हि।

इ एकटा नब आयाम थिक। बेसक कर्मकाण्ड मे बहुत अलग अलग प्रथा छै लेकिन समय के संग ओहि मे बदलाव हो त लाश गंगा मे बहेबाक जरूरत नहि परतै।


ज्येष्ठ पुत्री सिम्पी के विवाह भ गेल छन्हिं ओ TCS मे उच्च पद पर कार्यरत छथि हुनक सासु ससुर सेहो कहलखिन्ह जे अहाँ मुखाग्नि स ल विधान के संग पंचदान श्राद्धकर्म पूर्ण करू हमरा सब के तरफ स कोनो रोक नै अछि। अहाँ अपन माता पिता के बेटी नै बेटा छियनि। विनम्र श्रद्धाँजलि

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