रविश कुमार ने छोड़ा एनडीटीवी, अब प्राइम टाइम पर कभी नहीं सुनाई देगा नमस्कार मैं रविश कुमार

मै रवीश कुमार शायद यह आवाज अब आपको टीवी स्क्रीन पर सुनाई नहीं दे, मेरे इस ब्रेकिंग खबर को पढ़ कर बहुत सारे लोग जश्न की तैयारी शुरु कर दिए होंगे लेकिन आप जितनी गाली दे,देशद्रोही कहे, मुल्ला मिया कहे लेकिन जब जब मोदी को देश याद करेंगा साथ में रवीश भी खड़े होगे। इतिहास जैसे भी लिखा जाए मोदी का इतिहास रवीश कुमार के बगैर लिखा ही नहीं जा सकता है। और बात अगर देश कि करे तो जब जब गंगा जमुनी संस्कृति को बनाये रखने के लिए किसी एक व्यक्ति की चर्चा होगी तो उसमें रवीश कुमार भी होंगे।

और बात जब पत्रकार और पत्रकारिता कि होगी तो वहां भी रवीश कुमार उसी अंदाज में मुस्कुराते हुए कहते दिखेंगे मैं रवीश कुमार। जिस अंदाज में पांच वर्षों तक विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था और बेरोजगारी जैसे मुद्दों के सहारे आम लोगों की आवाज बने रहे यह भी कम बड़ा प्रयोग नहीं था ।

समय के साथ जनता ये सारी बातें भूल जाये लेकिन मैं रवीश कुमार यह आवाज तब तक गूंजता रहेगा जब तक यह संसार रहेगा और एक पत्रकार अपनी आवाज और खबर के सहारे कितनी दूर तक पहुंच सकता है कोई रवीश से सीखे ।

अक्सर लोग मुझे बिहार का रवीश कुमार कहते हैं अच्छा नहीं लगता है जब कोई ये कहता है लेकिन आज मुझे सच में गर्व महसूस हो रहा है कि रवीश के साथ नाम जोड़ना कितनी बड़ी उपलब्धि है। खैर हर किसी के जीवन में एक ना एक दिन ऐसा आता ही है यह सत्य है लेकिन वो व्यक्ति हमेशा याद किये जाते हैं जो अपने विचारों के साथ हर परिस्थिति में खड़ा रहता है ।

आज सुबह जब आपसे बात हो रही थी आप थोड़ा असहज दिख रहे थे स्वाभाविक है हर माह वेतन पर जीने वाले को अचानक लगता है कि अब जिंदगी कैसे चलेगी बच्चों का क्या होगा ।यह व्यर्थ की चिंता है क्या आपने सोचा था कि बिहार के छोटे से गांव से निकल कर जहां आप हैं वहां पहुंच जायेंगे ऐसा आपने कभी सोचा था क्या नहीं ना , तो फिर जो आया है वो हमारे आपके भाग्य के सहारे थोड़े ही हां आप जो गाना सुन रहे थे
तेरी दो टकिया दी नौकरी
वे मेरा लाखों का सावन जाये उसमें एक लाइन है—
प्रेम का ऐसा बंधन है
जो बंध के फिर ना टूटे
अरे नौकरी का है क्या भरोसा
आज मिले कल छूटे,कल छूटे
बस प्रेम का ऐसा ही बंधन बना रहना चाहिए नौकरी का तो आना जाना लगा रहेंगा।
ईश्वर ने आपके लिए कुछ खास सोच रखा हो ,ऐसे में आनंद लेते गुनगुनाते हुए आगे बढ़ते चलना है ।

-SANTOSH SINGH, PATNA

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