बिहार और झारखंड में से किसी एक राज्य में ही मिलेगा आरक्षण का लाभ, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

बिहार और झारखंड में से किसी एक राज्य में ही मिलेगा आरक्षण का लाभ, सुप्रीम कोर्ट का आदेश : आरक्षण का लाभ सिर्फ कैडर बंटवारे में कर्मी को ही नहीं मिलेगा, बल्कि उनके बच्चों को भी मिलेगा. लेकिन यह लाभ किसी एक राज्य (बिहार या झारखंड) में ही लिया जा सकेगा. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित व जस्टिस अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया. 31 जुलाई को एसएलपी पर सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रार्थी पंकज कुमार को छह हफ्ते के अंदर 2007 के विज्ञापन संख्या-11 के आधार पर चयन के परिप्रेक्ष्य में नियुक्त किया जा सकता है. कहा कि वह वेतन एवं भत्तों के साथ ही वरीयता के भी हकदार हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि कांस्टेबलों (आरक्षी) की कोई गलती नहीं है. पहले उनकी नियुक्ति की गयी. फिर हटाया गया. इसमें उनकी कोई गलती नहीं है. संविधान की धारा-142 का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कांस्टेबलों को नौकरी में रखने का आदेश दिया.

खंडपीठ ने कहा कि 24 फरवरी 2020 काे झारखंड हाइकोर्ट का बहुमत से दिया गया फैसला कानून में अव्यावहारिक है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है. पीठ ने कहा कि सिद्धांत के आधार पर हम अल्पमत फैसले से भी सहमत नहीं हैं. स्पष्ट किया कि व्यक्ति बिहार या झारखंड दोनों में से किसी एक राज्य में आरक्षण के लाभ का हकदार है, लेकिन दोनों राज्यों में एक साथ आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता है और अगर इसे अनुमति दी जाती है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 341 (1) और 342 (1) के प्रावधानों का उल्लंघन होगा.

उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अनुसूचित जाति के सदस्य पंकज कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करते हुए झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2007 में उन्हें इस आधार पर नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया था कि उनका पता दिखाता है कि वह बिहार के पटना के स्थायी निवासी हैं.

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