RJD विधायक के भाई की गुं’डागिरी, फोन पर मदद मांगने वाले प्रवासी बिहारी मजदूरों को दी गई गा’लियां

इन दिनों पूरे देश में लाकडाउन के कारण बिहार से बाहर रह रहे गरीब मजदूरों की हालत बहुत ज्याद खराब है, लोग उम्मीद से अपने क्षेत्र के मुखिया, वार्ड मेंबर, एमपी एमएलए को फोन करते हैं ताकि उनकी मदद हो सके, लेकनि इनमे से कुछ ऐसे भ लोग है जो अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं और प्रवासी मजदूरों की मदद करने के बदले उनका ही जमकर क्लास लगा रहे हैं, न्यूज पोर्ट एशिया विले हिंदी पर पत्रकार विकास कुमार ने एक जबरदस्त स्टोरी की है, डेली बिहार के पाठकों के लिए यह स्टोरी यहा साभार प्रकाशित किया जा रहा है

-अस्सलामु अलैकुम…-वालेकुम अस्सलाम, कौन? -हम सीतामढ़ी ज़िले के हैं और मुम्बई में फंसे हैं. इधर से ट्रेन चलेगी क्या? -हां, कल के बाद देशभर से ट्रेन चलेगी. ऑनलाइन टिकट कटवाइए और आ जाइए. -हम मज़दूर हैं. पैसा नहीं है. टिकट कैसे कटवा लें…आप हमारे विधायक हैं…(फोन डिस्कनेक्ट हो गया)

10 अप्रैल को ये बातचीत मुम्बई में फंसे 26 वर्षीय रेहान शेख़ और उनके इलाक़े के विधायक सैयद अबू दोजाना के बीच फोन पर हुई थी. सैयद अबू दोजाना सीतामढ़ी के सुरसंड से विधायक हैं, आरजेडी के सीनियर नेता हैं और पार्टी अध्यक्ष लालू यादव के करीबी बताए जाते हैं. रेलवे होटल टेंडर मामले में सैयद अबू दोजाना के कई ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी भी हो चुकी है.

ख़ैर, यहां ये मुद्दा नहीं है. केवल उनके परिचय के लिए बताया गया. यहां मुद्दा है उनके द्वारा दी गई आधी-अधूरी जानकारी और अपने इलाके के मतदाता को संकट में छोड़ देना. सैयद अबू दोजाना शायद को याद रखना चाहिए कि उनकी पार्टी आरजेडी और उनके नेता तेजस्वी यादव प्रवासी बिहारियों के सकुशल वापसी को लेकर लगातार अपनी चिंता ज़ाहिर करते रहे हैं. कोटा से छात्रों को लाने के लिए बस देने की बात कह चुके हैं. ओपन लेटर लिखकर बिहार सरकार को घेर चुके हैं. आरजेडी समर्थकों ने तो ट्विटर पर #तेजस्वीसहाराहै ट्रेंड भी करवाया था. मजदूरों छात्रों की वापसी पर तेजस्वी यादव ने गत दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक ओपन लेटर लिखा था. इस पत्र में तेजस्वी यादव ने कई सवाल किए थे.

अब सवाल उठता है कि जिस आरजेडी के बड़े-बड़े नेता प्रवासी मजदूरों को लेकर अपनी चिंता ज़ाहिर कर रहे हैं. सरकार से सवाल कर रहे हैं. आगे बढ़कर मदद करने की बात भी कह रहे हैं उसी पार्टी के एक विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के कुछ जरूरतमंदों की मदद नहीं कर रहे. मदद करना तो दूर, ठीक से बात भी नहीं कर रहे. विधायक सैयद अबू दोजाना को फोन करने वाले रेहान शेख़ ने एशियाविल हिंदी से बात करते हुए कहा, “विधायक जी से पहले भी बात हुई है. उन्होंने मुम्बई में रहने वाले अपने बड़े भाई नदीम हुस्सैन से कहवाकर हमें खाना-पीना भी दिलवाया है लेकिन जब हमने सुना की ट्रेने खुल रही हैं तो हमने उन्हें कॉल किया. उन्होंने जो बताया वो आपने सुना ही. जब हमारे पास पैसे है ही नहीं तो हम ऑनलाइन टिकट कैसे कटवा लें? अगर हम उन्हें वोट देकर विधायक बनवा सकते हैं तो जरूरत के वक़्त खोज भी तो सकते हैं?”

जब विधायक सैयद अबू दोजाना ने रेहान शेख़ की मदद नहीं की तो उसने एक ऑडीयो मैसेज रिकॉर्ड किया और इस मैसेज को अपने विधायक सहित मुम्बई में रहकर अपना व्यापार करने वाले नदीम हुस्सैन को वाट्सएप के माध्यम से भेज दिया.

इस मैसेज में क्या था? इस सवाल के जवाब में रेहान कहते हैं, “कुछ नहीं था. बस कुछ ज़रूरी सवाल थे. अगर दोजाना हमारे विधायाक हैं तो इस वक्त उन्हें फ़ोन नहीं करेंगे तो किसे करेंगे? मैंने इस मैसेज में कहा कि अगर हम उन्हें वोट देकर विधायक बना सकते हैं तो आगामी चुनाव में हरा भी सकते हैं. बताइए, इसमें क्या गलत कहा मैंने?”

रेहान शेख़ को भले इस ऑडियो में कुछ गलत नहीं लग रहा हो. भले ही उन्हें लग रहा हो कि उनके सवाल जायज़ थे. उनका गुस्सा जायज़ था लेकिन ये बातें मुम्बई में रहने वाले, अपना व्यापार करने वाले और रेहान द्वारा विधायक के भाई बताए जाने वाले नदीम हुस्सैन को इतनी बुरी लगी कि उन्होंने रेहान शेख़ को मां-बहन की गालियां दीं. जहां हैं वहीं आकर मारने की धमकी दी और यहां तक कहा कि वो उसे पत्थर में बांधकर समुद्र में फेंक देंगे. रेहान को भेज गए अपने दो मैसेज में नदीम ने कहा-मुसलमानों का खून ही खराब है.

रेहान शेख़ को भेजे गए मैसेज के बारे में और विधायक से उनके संबंध के बारे में विस्तार से जानने के लिए एशियाविल हिंदी ने नदीम हुस्सैन फोन किया तो वो बोले, “देखिए, मैंने विधायक जी का भाई-वाई नहीं हूं. मैं उन्हें जानता जरूर हूं. उन्होंने कुछ दिन पहले फोन करके इन सब के खान-पीने का इंतज़ाम करने के लिए कहा था. मैंने दिन-रात एक करके किया. घर बैठे-बैठे इन सब को खाना दिलवाया. जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए बोला. इसके बाद भी जब उसने मुझे ‘वोट ना देंगे’ वाला मैसेज भेजा तो गुस्सा आ गया.”

वो आगे बोले, ” आप ही सोचिए, जब आप किसी के लिए कुछ करते हैं. मदद करते हैं और वो उल्टे आपको ध’मकी दे तो आप क्या करेंगे? कंट्रोल होना मुश्किल होता है. वही हुआ.”

जिस बात का नदीम ने जवाब नहीं दिया वो यह है कि जब वो विधायक के भाई नहीं हैं, उनके करीबी नहीं हैं और केवल जानते भर हैं तो ‘वोट ना देकर सत्ता से हटा देंगे’ वाले मैसेज को सुनकर उन्हें इतना गु’स्सा क्यों आ गया कि जान से मा’रने की धमकी दे डाली, मु’सलमानों के खू’न तक को गंदा बता दिया और मां-बहन की गा’लियां दे डाली? ख़ुद सुनिए, किसने किसको क्या कहा

इस प्रकरण के बारे में जानने के लिए एशियाविल हिंदी ने विधायक सैयद अबू दोजाना को कई फोन किया ताकि वो अपना पक्ष रख सकें. अपनी बात कह सकें लेकिन उन्होंने ना तो फोन उठाया और ना ही हमारे किसी मैसेज का जवाब दिया. विधायक और उनके कथित भाई के इस व्यवहार के बारे में पार्टी की राय जानने के एशियाविल हिंदी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के दफ्तर से संपर्क किया. उनके दफ़्तर से कहा गया कि बात करके बताएंगे लेकिन खबर लिखे जाने तक इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया. जब भी उनके दफ़्तर से प्रतिक्रिया आएगी तो उसे अपडेट कर दिया जाएगा.

सवाल उठता है कि एक तरफ जब पार्टी के बड़े नेता प्रवासी मजदूरों के पक्ष में बात कर रहे हैं. सवाल कर रहे हैं. सरकार को हर सम्भव घेरने की कोशिश कर रहे हैं तो पार्टी के एक सीनियर नेता एक जरूरतमंद युवक से ऐसा बर्ताव क्यों कर रहे हैं और इस बारे में बात करने के लिए पार्टी की तरफ से कोई भी सामने क्यों नहीं आ रहा है?

आपको बता दें कि लॉकडाउन की वजह से लाखों प्रवासी बिहारी देशभर में फंसे हुए हैं. बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ क़रीब 27 लाख प्रवासी बिहारी मज़दूर, छात्र, कामगार बाहर फंसे हैं.

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