घर-घर जाकर बेचता था मिट्टी का बर्तन, आज कर रहा विदेश में फिजिक्स से पीएचडी, 1 करोड़ देगी यूनिवर्सिटी

अलवर के युवक रोहित ने कामयाबी की नई इबारत लिखी है। बेहद गरीबी में अपना बचपन गुजारने वाले रोहित अब अमेरिका की इंडियाना ब्लूमिंगटन यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में पीएचडी कर रहे हैं। खास बात यह है कि पीएचडी पूरा करने पर करीब एक करोड़ रुपए का खर्च आता है। रोहित ने 5 साल के इस कोर्स में फ्री में एडमिशन पाया है। यूनिवर्सिटी रोहित की पीएचडी पर करीब एक करोड़ रुपए खर्च करेगी।

अलवर जिले में कोटकासिम के उजोली गांव के रहने वाले रोहित के सिर से पिता का साया बचपन में ही उठ गया था। इसके बाद रोहित घर पर मिट्‌टी के बर्तन बनाते थे और चाचा और दादा के साथ गधे पर उन बर्तनों को लादकर गांव-गांव बेचने जाते थे। ।

पढ़िए, गधे की सवारी से लेकर एरोप्लेन तक के रोहित संघर्ष की कहानी-

रोहित ने दादा, चाचा के साथ मटके बनाकर गधे पर बेचने के पैतृक काम किया। जब रोहित 3 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। इसके बाद चाचा ने उनका हाथ थामा। बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी रहे रोहित को मजदूरी के भरोसे ही चाचा ने ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी भेज दिया। दिल्ली से एमएससी की पढ़ाई करते हुए रोहित ने अपनी काबिलियत के बूते अमेरिका के लिए उड़ान भरी।

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रोहित के गांव का पुराना मकान
उजोली गांव में रोहित के परिवार का पुराना मकान है। जहां पर उसने 10वीं तक की पढ़ाई की। इस घर की दीवारें ही पक्की थीं, लेकिन ऊपर का हिस्सा कच्चा था। मतलब दीवारों के ऊपर छप्पर होता था। उसी में रहते थे। पिछले कुछ सालों ने उन्होंने अपना तीन कमरे का अलग मकान बनवा लिया है।

रोहित के पिता की मौत के बाद चाचा मनीराम ने ही उसे संभाला। रोहित ने 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई उजोली के सरकारी स्कूल से की। 10वीं में रोहित ने 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाकर टॉप किया। इसके बाद न्यू टगौर पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की। 12वीं में 93 प्रतिशत अंक हासिल किए। फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन हो गया। वहां भी कॉलेज में टॉपर रहा। इसके बाद आईआईटी मुम्बई में एडमिशन हुआ। वहां पढ़ाई के बाद दो महीने के लिए अमेरिका में इंटर्नशिप का मौका मिला। वहीं से पीएचडी की राह निकली।

रोहित को एमएससी के बाद अमेरिका में दो महीने की इंटर्नशिप डॉ. रोमाल्डो डिसूजा के अंडर मे करने का मौका मिला। उनके सुझाव पर ही रोहित ने इंडियाना ब्लूमिंगटन यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए आवेदन किया। यूनिवर्सिटी ने उनका ऑफर स्वीकार कर लिया।

पढ़ाई के समय पड़ोसियों ने की मदद
रोहित पढ़ाई में अव्वल रहा है। परिवार गरीब होने के कारण पड़ोस के राबड़का गांव के बिल्लूराम यादव व गजराज यादव ने ग्रेजुएशन के समय हर साल 50 हजार रुपए की मदद की। 12वीं क्लास में रोहित को स्कूल संचालक ने बिना फीस पढ़ाया।

40 किलोमीटर में फैली है यूनिवर्सिटी

रोहित ने बताया कि इंडियाना ब्लूमिंगटन बड़ी यूनिवर्सिटी है। इसका कैंपस करीब 40 किलोमीटर में फैला है। अब यहां पढ़ाई शुरू हो गई है। भविष्य में रिसर्च के सेक्टर में ही काम करने का सपना है। मतलब अब रोहित एक वैज्ञानिक बनने की ओर बढ़ गए हैं।

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