गांधी जी के विकास मॉडल में गुलामी के लिए नहीं थी कोई जगह : हरिवंश

दरभंगा। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा है कि महात्मा गांधी के द्वारा दिया हुआ जीवन दर्शन हर युग में प्रासंगिक रहेगा। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विकास मॉडल में गुलामी के लिए कोई स्थान नहीं था। उनके सिद्धांतों पर चलकर भारत समेत दुनिया के कई देश गुलामी से मुक्त हुए। हरिवंश इसमाद फाउंडेशन की ओर से आयोजित आचार्य रमानाथ झा हेरिटेज सीरीज के तहत 12वें व्याख्यान ‘गांधी ही विकल्प’ पर विष्णुकांत झा समृति व्याख्यान दे रहे थे।

हरिवंश ने महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस की चर्चा करते हुए कहा कि वो एक वैज्ञानिक होते हुए भी गांधी जी के मानवता के सिद्धांत के तहत जनसंख्या वृद्धि, जल संकट, जलवायु परिवर्तन और बीमारियों के इलाज के लिए मिल-जुल कर काम करने का सिद्धांत दिया। स्टीफन हॉकिंस ने कहा है कि हमारे पास दुनिया को नष्ट करने के लिए हथियार तो है लेकिन विश्वव्यापी समस्याओं से निबटने का कोई उपाय नहीं है। उन्होंने इससे बचने का उपाय भी बताया है। उन्होंने कहा है कि वैज्ञानिकों को आगे आकर बताना होगा कि विकास के लिए बेहतर पर्यावरण की जरूरत होगी।
हरिवंश ने कहा कि आज दुनिया में 720 करोड़ लोग रह रहे हैं। जबकि धरती की प्राकृतिक संपदा महज 200 करोड़ लोगों के लिए ही सीमित है। उन्होंने कहा कि भारत की आबादी 2030 में 130 करोड़ होगी जबकि हमारे पास दुनिया का महज 2.1 प्रतिशत भू-भाग है। आबादी के अनुसार फिलहाल हम दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी हैं। अनुमान के अनुसार पानी, पेट्रोल, कोयला जैसे संसाधन महज 47 साल तक चलेंगे। ऐसे में बढ़ती आबादी के लिए खाद्यान्न और अन्य संसाधन कहां से आएंगे।


उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने विकास के जिस मॉडल की कल्पना की थी उसमें भौतिक विकास से ज़्यादा मानसिक शांति पर ज़ोर था। उन्होंने कहा कि देश जब आज़ाद हुआ तब गांधी जी से पत्रकारों ने पूछा था कि भारत को विकास के ब्रिटेन मॉडल पर चलाना है या कोई दूसरा मॉडल होगा तब गांधी जी ने ब्रिटेन के विकास मॉडल को खारिज़ कर दिया था। गांधी जी ने तब कहा था कि आज ब्रिटेन की आबादी महज एक करोड़ है। उसने दुनिया के कई देशों को गुलाम बनाकर वहां के संसाधन छीन लिए। भारत की आबादी आज़ादी के समय 30 करोड़ है अगर भारत ब्रिटेन के विकास मॉडल पर चलेगा तो उसे देशों नहीं बल्कि ग्रहों और आकाशगंगाओं तक को गुलाम बनाना होगा। उन्होंने कहा कि भारत का विकास मॉडल वह है जिसमें गांवों में लोग खेती करें, पशुपालन करें, सहकारिता को अपनाएं। शहरों में औद्योगीकरण किसी का हक मारकर न हो। गांधी जी ने 1928 में कहा था कि आधुनिक सभ्यता का विशेष चरित्र इच्छाओं का अनंत बहुतायत है। उन्होंने कहा कि आज के वैज्ञानिक दुनिया को प्रकृति की ओर वापस लौटने को कह रहे हैं। वे भले ही गांधी जी को नहीं जानते हों लेकिन गांधी जी जो बहुत पहले सावधान कर गए उसी को बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज विचार नहीं बल्कि दुनिया को तकनीक बदल रही है। यह ठीक नहीं है।


हरिवंश ने कहा कि दरभंगा में इतिहास की बहुत सी धरोहर हैं। यहां के कल्याणी फाउंडेशन की लाइब्रेरी में ज्ञान का खजाना भरा पड़ा है। इससे नई पीढ़ी को सीखना चाहिए। उन्होंने इसमाद फाउंडेशन की व्याख्यानमाला की तारीफ की। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं में ऐसे कार्य होने चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने की। अध्यक्षीय उद्धबोधन में उन्होंने गांधी जी की प्रासंगिकता की चर्चा की। उन्होंने कहा कि गांधी जी का अहिंसक समाज और विकसित भारत का सपना नई पीढ़ी तभी सार्थक कर सकती है जब वह गांधी जी के सिद्धांतों को पढ़े और उसे अपनाए। कुलपति ने ऐसे ऐतिहासिक कार्यो के लिए आयोजको को बधाई दी। इससे पूर्व इसमाद के प्रबंध न्यासी सुनील कुमार झा ने इसमाद के पिछले 10 वर्षों की यात्रा के संबंध में जानकारी दी जबकि इतिहासकार अवनींद्र कुमार झा ने आचार्य रामनाथ झा हेरिटेज सीरीज के 11 माह के यात्रा की जानकारी दी।


कार्यक्रम में स्वागत उध्बोधन रिटायर्ड आईएएस गजानन मिश्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन इसमाद फाउंडेशन के ट्रस्टी संतोष कुमार ने किया जबकि मंच संचालन पत्रकार आशीष झा ने किया।

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