बिहार सरकार की गलती से पटना में सड़ गया लाखों किलो प्याज, करोड़ों रूपये का हुआ घाटा

प्याज के आंसू…पसीजा बिस्कोमान, सड़-गल रहा प्याज : बिस्कोमान और जिला प्रशासन की खींचतान में सैकड़ों किलो प्याज सड़ गया। दाम बढ़ने पर बिस्कोमान ने राजधानी में 35 रुपए प्रति किलो प्याज बेचना शुरू किया था। जिला प्रशासन ने भीड़ का हवाला देकर बिस्कोमान में पार्किंग अाैर अन्य व्यवस्था करने का निर्देश दिया। इसके बाद बिस्कोमान ने प्रशासन पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाकर प्याज की बिक्री बंद कर दी। बिक्री बंद होने के बाद बिस्कोमान भवन के गोदाम में पड़ा प्याज सड़ गया। बिस्कोमान आधिकारिक आंकड़ा नहीं दे रहा, मगर ऐसे कई ढेर इसके गोदाम में दिख रहे हैं। शुक्रवार को मजदूर काम लायक बचे प्याज को छांटते नजर आए।

अभी और रुलाएगा प्याज, Rs 165/kg पहुंचा दाम, इस तारीख तक विदेश से आएगी पहली खेप : महंगाई की मार के चलते प्याज अभी आम लोगों को और रुलाएगा। हालांकि, सरकार प्याज की बढ़ी कीमतों से राहत देने के लिए प्याज का आयात कर रही है। सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा में बताया कि देश में प्याज की अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिये सरकारी व्यापार उपक्रम एमएमटीसी प्याज का आयात कर रही है और इसकी पहली खेप अगले साल 20 जनवरी तक पहुंचने की उम्मीद है।

खाद्य आपूर्ति राज्यमंत्री दानवे रावसाहेब दादाराव ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि भारत में इस साल बारिश की देर से शुरुआत होने और देर तक बारिश जारी रहने के कारण प्याज की फसल पर व्यापक नकारात्मक असर हुआ। इसकी वजह से देश में इस समय प्याज की कमी के कारण इसकी ऊंची कीमतों का सामना करना पड़ रहा है।

आज प्याज के दाम की चर्चा करें तो आज प्याज 165 रुपये प्रति किलो तक बिका। पणजी (गोवा) में जहां आज प्याज 165 रुपये प्रति किलो बिके, वहीं अंडमान में 160 रुपये प्रति किलो।

उन्होंने कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिये सरकार ने बफर स्टॉक का भी इस्तेमाल किया है। दादाराव ने प्याज की कीमतों में इजाफे की बात को स्वीकार करते हुये कहा, ”बफर स्टॉक के जरिये प्याज की आपूर्ति किये जाने के बाद एमएमटीसी ने तमाम देशों से प्याज का आयात किया है। इसके 20 जनवरी तक भारत आ जाने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में बृहस्पतिवार को प्याज की कीमत 109 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच गयी।

खाद्य तेल की कमी से जुड़े एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में दादाराव ने कहा कि इस साल सोयाबीन का उत्पादन पर्याप्त नहीं होने के कारण देश में खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ गया। उन्होंने कहा कि 2019-20 में सोयाबीन का महाराष्ट्र में उत्पादन 42.08 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि 2018-19 में इसकी मात्रा 45.48 लाख टन थी।

मंत्री ने कहा कि मांग की तुलना में आपूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति में उत्पादन में बढ़ोतरी और आयात करना ही विकल्प है। उन्होंने बताया कि देश में खाद्य तेलों की कुल मांग की 60 प्रतिशत आयात से और शेष 40 प्रतिशत घरेलू उत्पादन से पूर्ति होती है। सरकार ने खाद्य तेलों की मांग को घरेलू उत्पादन से ही पूरा करने के लिये तिलहन के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिये तमाम सार्थक कदम उठाये हैं।

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