गुजरात के मिनी पेरिस में परिवार के पास नहीं थे रुपए, श्मशान घाट की बजाय सड़क पर हुआ अंतिम संस्कार

सूरत के एना गांव के ज्यादातर घरों के सदस्य विदेशों में रहते हैं। यानी हर घर में एक न एक एनआरआई है। इस कारण यह गांव मिनी पेरिस के नाम से मशहूर है।

गुजरात में सूरत के एना गांव में मजदूर आदिवासी परिवार के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है। परिवार के पास रुपए नहीं थे। इस कारण उन्हें मृतक का अंतिम संस्कार श्मशान घाट के बजाय गांव के आम रास्ते पर करना पड़ा। दरअसल, 45 वर्षीय मजदूर का नाम मोहन सुरेशभाई राठौड़ था। लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को उसका मौत हो गई।

उसके पार्थिव शरीर को श्मशान घाट लाया गया। लेकिन उसका शव 5 घंटे तक बाहर ही रखा रहा। हलपति समाज के तेजस राठौड़ ने बताया कि श्मशान संचालक धर्मेश मैसूरिया ने श्मशान सेवा शुल्क 1100 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए कर दिया है। जब हम अंतिम संस्कार के लिए गए तो उन्हें श्मशान की चाबी देने से मना कर दिया। कहा- 2500 रुपए देने पर ही चाबी मिलेगी। मजदूर परिवार इतने रुपए देने में असमर्थ था। इस कारण उन्हें गांव के रास्ते पर शव का अंतिम संस्कार करना पड़ा। वहीं स्थानीय लोग बताते हैं कि श्मशान घाट में किसी प्रकार का शुल्क नहीं वसूला जाता है। हालांकि मामले की जांच की जा रही है।

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