सहारा के ग्राहकों को वापस मिलेगा पैसा, सुब्रत राय बोले, एक-एक पाई चुकता करेंगे, हम बेईमान नहीं है
सहारा के उन करोड़ों ग्राहकों के लिए खुशखबरी है जिनका पैसा सहारा में डूब चुका है या फंस गया है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान सहारा के मालिक सुब्रत राय ने वादा करते हुए कहा है कि वह 9 महीने में सभी ग्राहकों के पैसे को लौटा देंगे. पाया जाता है कि लगभग 10 करोड़ से अधिक ग्राहकों का पैसा सहारा में फंसा हुआ है. वे लोग काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं. बिहार की बात करें तो पिछले एक-दो साल से यह मामला ना सिर्फ आंदोलन के बदौलत बल्कि पटना हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है. बिहार के विभिन्न जिलों में याचिका दर्ज कर सहारा कंपनी के मालिक के ऊपर केस दर्ज किया गया है. क्या है ताजा अपडेट आइए आपको बताते हैं…

सहारा समूह (Sahara Group) की कंपनियों में पैसे लगाने वालों के लिए बड़ी खबर है. केंद्र सरकार ने कहा है कि समूह में पैसे लगाने वाले 10 करोड़ निवेशकों (Sahara Group Investors) को 9 महीने के भीतर रिफंड मिल जाएगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर सरकार ने सहारा समूह की को-ऑपरेटिव सोसाइटीज में पैसा लगाने वालों को रिफंड दिलाने का पूरा प्लान बना लिया है. इसके तहत सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में जमा 5000 करोड़ की राशि को सेंट्रल रजिस्ट्रार के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा और फिर निवेशकों तक लौटाया जाएगा.
केंद्रीय सहकारी मंत्रालय (Ministry of Cooperation) ने एक ऑफिशियल बयान में कहा, सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद 10 करोड़ निवेशकों का पैसा लौटाने का रास्ता साफ हो चुका है. इन निवेशकों ने सहारा समूह की 4 सहकारी समितियों में पैसा लगाया था. अब सहारा-सेबी (Sahara-SEBI) रिफंड अकाउंट में जमा राशि को निवेशकों को लौटाया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सहारा समूह की 4 को-ऑपरेटिव सोसाइटी में पैसे लगाने वालों को रिफंड मिलेगा. इसमें सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (ahara Credit Cooperative Society Limited), सहारयन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड (Saharayan Universal Multipurpose Society Limited), हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (Humara India Credit Cooperative Society Limited) और स्टार्स मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (Stars Multipurpose Cooperative Society Limited) जैसी योजनाएं शामिल हैं. ये सभी योजनाएं मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज एक्ट 2002 के तहत मार्च 2010 से जनवरी 2014 के बीच पंजीकृत कराई गई हैं.
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