पटना के VIP इलाको में संक्रमण रोकने के लिए किया जा रहा सैनिटाइजेशन, लेकिन आम लोगों के घर छोड़ दिया

Patna: राजधानी के हर इलाके तक सड़कों और गलियों में नगर निगम की ओर से सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई है. मगर पिछले 10 दिनों में ही इसकी हवा निकल गई है. पाटलिपुत्र, नूतन राजधानी अंचल में दवा का छिड़काव सिर्फ वीआईपी इलाकों तक ही सीमित है. आम नगरवासियों तक मशीनें पहुंचती ही नहीं हैं. जब लोग इसकी शिकायत करते हैं तो समाधान निकालने के बदले अफसर फोन ही बंद कर लेते हैं. निगम को शिकायत करने के लिए दफ्तर जाना संभव नहीं है. घंटों फोन लगाने के बाद भी कॉल नहीं लगता.

दोपहर में फॉगिंग किस काम की

पाटलिपुत्र के वार्ड दो, पांच, सात, आठ, 22 में इसकी पड़ताल की. स्थानीय लोगों ने बताया कि फॉगिंग के लिए दोपहर के वक्त गाड़ी आती है, जबकि सुबह छह से आठ और शाम पांच से सात बजे के बीच ही दवा का छिड़काव संभव है. इसके अलावा दूसरे वक्त में फॉगिंग करने से टेक्निकल मालाथियोन का असर नहीं होता. अधिक तापमान में दवा काम नहीं करता. मगर वार्ड नंबर दो के ज्यादातर इलाकों में सुबह 10 बजे के बाद फॉगिंग के लिए गाड़ी घूम रही है. फॉगिंग कर्मी बताते हैं कि उन्हें समय पर दवा नहीं दी जाती. इस कारण हर दिन लेट हो जाता है. कई कॉलोनियों में रात आठ बजे फॉगिंग टीम पहुंच रही है. गलियों में गाड़ी को ऐसे दौड़ाते हैं, जैसे जल्दी-जल्दी लीपापोती कर निकल जाएं. यहां वाहन धीरे चलाना होता है, ताकि आसपास की खाली जमीन और घरों के अंदर तक धुआं पहुंचे.

DRM Hubballi on Twitter: "#Railway is undertaking intensive ...

दो र्जेंटग मशीन में एक खराब

पाटलिपुत्र में सैनिटाइजेशन के लिए नगर निगम के पास दो र्जेंटग मशीन उपलब्ध करायी गई है. इसमें से एक ही मशीन काम कर रही है. चार से पांच लाख जनसंख्या का इलाका एक र्जेंटग के भरोसे कैसे सैनिटाइज होगा. अफसर बताते हैं कि जल्द ही दूसरी मशीन को ठीक करा लिया जाएगा. मगर बड़ा सवाल है कि लॉक डाउन के दौरान ही मशीन क्यों खराब हो गई है. पाटलिपुत्र और नूतन राजधानी अंचल में कुल 16-16 वार्डों में रोस्टर के हिसाब से दवा का छिड़काव किया जाना है. मगर हर गली का रोस्टर हर दिन भरा जा रहा है. निगम के अफसर इस पर हस्ताक्षर भी कर रहे हैं, मगर गलियों तक दवा का छिड़काव हो ही नहीं रहा है.

326 लीटर दवा सिर्फ फॉगिंग में खर्च

नगर निगम के पास वर्तमान में संसाधन की कोई कमी नहीं है. हर अंचल में पांच से आठ टेम्पो फर्ॉंगग मशीन और दो से तीन र्जेंटग मशीन है. हर वार्ड में एक हैंड फॉगिंग मशीन उपलब्ध है. इसके बाद भी हर गली तक दवा का छिड़काव नहीं होना सवाल खड़े करता है. हर दिन 326 लीटर दवा सिर्फ फर्ॉंगग में इस्तेमाल हो जाती है. इसमें 17 लीटर टेक्निकल मालाथियोन और प्रत्येक एक लीटर मालाथियोन के साथ 19 लीटर डीजल दिया जाता है. इसी अनुपात में दवा-डीजल में मिलाने पर मच्छर सहित अन्य किटाणु मर जाते हैं.

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