केमिस्ट दुकान में नौकरी करते थे संप्रदा सिंह, शिक्षक की नौकरी छोड़ की थी अल्केम की स्थापना

प्रसिद्ध दवा उद्योगपति संप्रदा सिंह का शनिवार की अहले सुबह मुंबई के लीलावती अस्पताल में नि-धन हो गया। वे 94 साल के थे। बिहार के सबसे धनी व्यक्ति और जहानाबाद के लाल संप्रदा सिंह के नि-धन की सूचना पर जहानाबाद के उनके पैतृक गांव, मोदनगंज प्रखंड के ओकरी में मातम छा गया। सभी लोग संप्रदा बाबू के कृतित्व तथा गांव से आजीवन लगाव की चर्चा कर रहे थे।

26 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी करने वाले संप्रदा सिंह कभी पटना के अशोक राजपथ पर केमिस्ट की दुकान में नौकरी किया करते थे। 1953 में संप्रदा सिंह ने पटना में रिटेल केमिस्ट के तौर पर एक छोटी शुरुआत की। उसके बाद उन्होंने पटना में दवा की दुकान शुरू की। इसी दौरान वे अस्पतालों में दवा की सप्लाई भी करने लगे।

संप्रदा सिंह एक ऐसे शख्स के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे, जिसने मेहनत और सूझबुझ से शिखर तक का सफर तय किया। साधारण किसान के घर जन्मे संप्रदा सिंह ने गया कॉलेज से बी कॉम की पढ़ाई पूरी कर शिक्षक की नौकरी ज्वाइन की। लेकिन यह नौकरी उन्हें रास नहीं आई और इस्तीफा देकर वे व्यापार की ओर मुड़ गए। शुरू में छाता बनाने और उसे बेचने का काम शुरू किया। थोड़े ही दिनों बाद वे दवा व्यापार की ओर मुड़ गए। अपनी दवा एजेंसी खड़ी कर ली। उनका लक्ष्य तो दवा बेचना नहीं दवा बनाना था। .

वर्ष 1973 में मामूली पूंजी से उन्होंने ‘अल्केम लैबोरेट्रीज’ की स्थापना की। इसके बाद संप्रदा सिंह ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे बिहार के सबसे धनी व्यक्ति थे और उनकी संपत्ति खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल तथा अनिल अंबानी से अधिक आंकी गई। उन्होंने ने गांव तथा जिले से लगाव बनाए रखा। जहानाबाद तथा अरवल जिले के कई युवकों को रोजगार प्रदान किया और युवाओं को बेहतर प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराया।

1960 में पटना में उन्होंने फार्मा डिस्ट्री ब्यूमशन का कारोबार शुरू किया। सत्तर के दशक में उन्होंने मुंबई का रुख किया उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1973 में 8 अगस्त को उन्होंने अल्केम लेबोरेटरीज लिमिटेड की स्थापना की, जो देश की पांचवीं सबसे बड़ी दवा कंपनी है। संप्रदा बिहार से महज एक लाख रुपये पूंजी लेकर मुंबई गए थे और दवा कंपनी शुरू की। उनकी कंपनी इस वक्त भारत समेत यूरोप, एशिया और अमेरिका में संचालित होती है। अल्केम फार्मास्युटिकल्स को फार्मा लीडर अवार्ड मिल चुका है। 2009 में फार्मा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम के लिए संप्रदा सिंह को लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया गया था। साल 2017 में देश भर के लोगों को अचानक चौंकाया जब उनका नाम देश के सबसे बुजुर्ग अरबपति के तौर पर खबरों में आया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसिद्ध उद्योगपति अल्केम ग्रुप ऑफ कंपनी के संस्थापक तथा जहानाबाद जिले के निवासी संप्रदा सिंह के निधन पर दुख जताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संप्रदा सिंह बड़े उद्योगपति होने के बावजूद अपने गृह जिला और बिहार से हमेशा जुड़े रहते थे। उनके निधन से उद्योग जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके निधन पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, सांसद आरके सिन्हा व डॉ. सीपी ठाकुर, मंत्री नंद किशोर यादव व मंगल पांडेय, विधायक संजीव चौरसिया, संगठन महामंत्री नागेन्द्र, शिव नारायण महतो, देवेश कुमार, सम्राट चौधरी, नीतीश मिश्र, मिथिलेश तिवारी, गोपालजी ठाकुर, शिवेश राम, अनिल शर्मा, राजेन्द्र सिंह, राधामोहन शर्मा, बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पीके अग्रवाल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा, सदानंद सिंह, सांसद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. समीर कुमार सिंह, एचके वर्मा, राजेश राठौड़, ब्रजेश पांडेय, सुबोध कुमार ने भी शोक जताया है। शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, जदयू विधायक ललन पासवान, नीलिमा सिन्हा, विनोद कुशवाहा, शम्भु कुशवाहा, डॉ. रजनीश रंजन एवं मनोज लाल दास मनु ने भी दुख जताया है।

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