गलवान के वीर बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत मिला ‘महावीर चक्र’ सम्मान

NEW DELHI : गलवान के वीर कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र : गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से अंतिम सांस तक लोहा लेने वाले बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत ‘महावीर चक्र’ से नवाजा गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को उनकी मां और पत्नी को देश का दूसरा सर्वोच्च वीरता पदक सौंपा।

लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू को कल यानी मंगलवार को वीरता मेडल महावीर चक्र से मरणोपरांत सम्मानित किया जाएगा. महावीर चक्र भारत का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है. उनके साथ गलवान घाटी में ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के दौरान चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में वीरगति को प्राप्त हुए चार अन्य सैनिकों को भी वीर चक्र दिया जाएगा. वहीं, सोमवार को हुए अलंकरण समारोह में विंग कमांडर (अब ग्रुप कैप्टन) अभिनंदन सहित अन्य वीर सैनिकों को बहादुरी मेडल से सम्मानित किया गया.

इसी साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कर्नल संतोष बाबू के अलावा ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के लिए गलवान घाटी में अदम्य साहस और बहादुरी के लिए पांच अन्य सैनिकों को वीर चक्र दिए जाने की घोषणा की गई थी. इनमें से चार को मरणोपरांत दिया गया था. जिन चार सैनिकों को मरणोपरांत वीर चक्र दिया गया है, उनमें नायब सूबेदार नूदूराम सोरेन (16 बिहार), हवलदार के. पिलानी (81 फील्ड रेजीमेंट), नायक दीपक कुमार ( आर्मी मेडिकल कोर-16 बिहार), सिपाही गुरजेत सिंह (3 पंजाब) शामिल हैं. इसके अलावा हवलदार तेजेंद्र सिंह (3 मीडियम रेजीमेंट) को भी चीनी सैनिकों से हैंड-टू-हैंड फाइट करने, साथी-सैनिकों को दुश्मन के खिलाफ एकजुट करने और चीनी सैनिकों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए वीर चक्र दिए जाने की घोषणा की गई थी.

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