बिहार में सस्ती होगी बिजली, फिक्स चार्ज में छूट, इलेक्ट्रीक कंपनियों को हुआ जबरदस्त मुनाफा
बिहार में सस्ती हो सकती है बिजली, केंद्र के पावर पैकेज से बिजली कंपनियों को 250 करोड़ के लाभ का अनुमान
केंद्र के पावर पैकेज का लाभ बिहार के आम उपभोक्ताओं और उद्योग जगत को भी होगा। आम उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सकती है, वहीं उद्योग जगत को भारी भरकम फिक्स चार्ज से राहत मिल सकती है। केंद्र द्वारा दी गयी छूट से बिहार की बिजली कंपनियों को ट्रांसमिशन चार्ज में लगभग 200 से 250 करोड़ का लाभ होने का अनुमान है।
यह राशि उन्हें बगैर बिजली का उपयोग किए भी उत्पादक कंपनियों को देना था। लेकिन, केंद्र के नए पैकेज से उन्हें इसमें राहत मिलेगी। केंद्र 25 मार्च से 17 मई के बीच फिक्स ट्रांसमिशन चार्ज से राहत देगा। केंद्र के 90 हजार करोड़ के पैकेज का एक बड़ा हिस्सा ट्रांसमिशन चार्ज में छूट से जुड़ा है।
बिजली कंपनी को राहत का सीधा लाभ राज्य के आम उपभोक्ताओं के साथ यहां की इंडस्ट्री को भी होना तय है। ट्रांसमिशन चार्ज कम होने से बिजली सस्ती हो सकती है। वहीं उद्योग को भी बिना उपयोग किए बिजली के फिक्स चार्ज से राहत मिलेगी। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने कहा कि केंद्र के पैकेज के बाद हमारी उम्मीद काफी बढ़ गयी है।
पैकेज का कर रहे अध्ययन : ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि हम केंद्रीय पैकेज के प्रावधानों का अध्ययन कर रहे हैं। फिक्स चार्ज और ऋण की सुविधा का कैसे कार्यान्वयन होगा, इसे देखा जा रहा है। हमें राहत मिलेगी तो आम लोगों तक अवश्य पहुंचाएंगे।
1209 योजनाओं पर काम शुरू, 20 हजार लोगों को मिला रोजगार : लघु सिंचाई विभाग ने पोखर, तालाब व आहर-पईन के एक साथ 1209 योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। इतनी योजनाओं का निर्माण पहली बार किया जा रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से वर्षों पुराने जर्जर तालाबों, पोखरों व आहर-पईनों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इनमें एेसी योजनाएं भी शामिल की गयी हैं, जो दो-तीन दशकों से जर्जर हालत में हैं।
इसके अलावा बड़ी संख्या में नयी योजनाओं का कार्यान्वयन भी शुरू किया गया है। इनसे स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष रूप से लगभग 10 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जबकि इतने ही लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार भी प्राप्त है। एक बड़ा लाभ पशुओं के पेयजल की समस्या दूर करने को लेकर होगी। उन्हें पूरे साल पीने के पानी की समुचित सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
लघु सिंचाई विभाग के अपर सचिव गोपाल मीणा ने बताया कि विभाग में 1783 योजनाएं स्वीकृत की गयी हैं, जिनमें से 1209 योजनाओं पर काम शुरू किया गया है। इन योजनाओं पर 1300 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इनमें 96 हजार कार्यदिवस शामिल हैं। लगभग पूरे प्रदेश में लघु सिंचाई की योजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें तालाब, आहर-पईन के साथ छोटी नदियों पर बनने वाले चेक डैम भी शामिल हैं। इन योजनाओं के माध्यम से सिंचाई के स्रोत तो विकसित हो ही रहे हैं, भूगर्भ जलस्तर बढ़ाने में भी मदद मिल रही है।
जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत गांवों में संचालित योजनाओं से लगभग एक लाख 47 हजार 254 हेक्टेयर भूभाग में सिंचाई की क्षमता का विकास होगा। यही नहीं भूगर्भ जलस्तर भी ऊपर आएगा। ग्रीष्म ऋतु में भूगर्भ जलस्तर ऊपर आने से सिंचाई में किसानों को काफी सहूलियत होगी। मानसून में इनका उपयोग जलसंग्रह के लिए हो सकेगा, जो संकट के समय काम आएगा। अभी इन जलस्रोतों के जर्जर होने से इनमें पर्याप्त मात्रा में जल संग्रह नहीं हो पाता है। गर्मी के समय आम लोगों, किसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियाें को पीने के पानी काे लेकर परेशानी होती है।