सोमवार से शुरू और सोमवार को ही खत्म होगा सावन का महीना, 6 जुलाई से हो रही है शुरुआत

हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत ही पवित्र माना गया है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस पूरे महीने शिवभक्त बड़ी ही श्रद्धा के साथ उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि अपना विशेष महत्व रखती है। मालूम हो कि प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि भी पड़ती है। लेकिन सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का खास महत्व है। सावन की शिवरात्रि को फाल्गुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि के समान ही फलदायी माना गया है। इस बार श्रावण मास की शुरूआत 6 जुलाई से हो रही है और इसका समापन 3 अगस्त को होगा। बता दें कि इस बार सावन की शुरुआत और समाप्ति दोनों ही सोमवार को होगी।

सावन और सोमवार: सावन माह भोले भंडारी का पसंदीदा महीना है जबकि सोमवार का दिन भी भगवान शिव को ही समर्पित किया गया है। इस दिन शिव जी की पूजा का खास महत्व बताया गया है। शिव पुराण के अनुसार जो भी भक्त इस महीने में सोमवार का व्रत रखता है, भगवान शिव उसकी सारी मुरादें पूरी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव की कृपा से विवाह संबंधित सभी अड़चनें दूर हो जाती हैं।

कब-कब पड़ेंगे सोमवार: साल 2020 के सावन माह में कुल पांच सोमवार पड़ेंगे। पहला सोमवार जहां शुरुआत के दिन यानि कि 6 जुलाई को ही पड़ रहा है, वहीं दूसरा सोमवार 13 जुलाई को पड़ेगा। इसके बाद, 20 जुलाई, 27 जुलाई और 3 अगस्त के दिन भी सावन का सोमवार पड़ रहा है। इस महीने में मोनी पंचमी, मंगला गौरी व्रत, एकादशी, प्रदोष व्रत, हरियाली और सोमवती अमावस्या, हरियाली तीज, नागपंचमी और रक्षाबंधन जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पड़ेंगे। साथ ही इस बार सावन में 11 सर्वार्थ सिद्धि, 10 सिद्धि योग, 12 अमृत योग और 3 अमृत सिद्धि योग भी बन रहे हैं।

क्या है पौराणिक कथा: कहते हैं कि समुद्र मंथन से निकले विष का शिव जी ने पान कर लिया था। इससे उनका शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया था जिससे शिव को काफी परेशानी होने लगी थी। भगवान शिव को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर बारिश करवाई थी। कहते हैं कि यह घटनाक्रम सावन के महीने में हुआ था। इस प्रकार से शिव जी ने विष का पान करके सृष्टि की रक्षा की थी। तभी से यह मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी अपने भक्तों का कष्ट अति शीघ्र दूर कर देते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान: शिवजी की पूजा में सफेद रंग के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि भगवान शिवजी को सफेद रंग के फूल सबसे ज्यादा प्रिय हैं। लेकिन उनकी पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं। इसके अलावा, तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है। वहीं, भगवान शिवजी की पूजा में नारियल का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन शिवलिंग पर कभी भी नारियल के पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। क्योंकि शिवलिंग पर चढ़ाने वाली सारी वस्तुएं निर्मल होनी चाहिए। भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पितल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।

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