मोदी सरकार में SBI-PNB का निकला ‘दिवाला’, सार्वजनिक क्षेत्र के 3 सबसे बैंको की हालत खराब

भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के तीन सबसे बड़े बैंको की हालत देखिए……..

10 दिसम्बर 2019 को खबर आती है देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक के बीते वित्त वर्ष के फंसे कर्ज (NPA) में करीब 12,000 करोड़ रुपये का अंतर पाया गया है। दरअसल इस साल एसबीआई का सकल एनपीए एक लाख 84, हजार 682 करोड़ रुपये था। यह बैंक द्वारा दिखाए गए 1 लाख 72,750 करोड़ रुपये के सकल एनपीए से 11,932 करोड़ रुपये अधिक है. अगर बैंक को अपने बही-खाते सही सही बताता तो एसबीआई फायदे में नही नुकसान में नजर आता ओर यह घाटा 6,968 करोड़ रुपये रहता।

15 दिसम्बर 2019 को खबर आती हैं कि देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने शेयर बाजार को बताया हैं कि रिजर्व बैंक की ओर से किए आकलन के अनुसार 2018-19 में पीएनबी का सकल एनपीए 81 हजार 089.70 करोड़ रुपये था। यह बैंक द्वारा दिखाए गए 78 हजार 472.70 करोड़ रुपये के सकल एनपीए से 2,617 करोड़ रुपये अधिक है। बैंक ने कहा कि आरबीआई के आकलन के आधार पर उसे 2018-19 में 11,335.90 का शुद्ध घाटा हुआ होता जबकि बैंक ने 9,975.49 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दिखाया था।

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18 दिसम्बर 2019 को खबर आती है कि पब्लिक सेक्टर के तीसरे सबसे बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 2018-19 के लिए 5,250 करोड़ का बैड लोन नही शो नही किया बैंक ने बताया कि ग्रॉस NPA में डायवर्जन 5250 करोड़ रुपए का था। जबकि फिस्कल ईयर 2019 में बैंक ने 1,475 करोड़ रुपये का प्रोविजन किया था। जिसमें से RBI की रिपोर्ट मुताबिक 4,090 करोड़ रुपये का प्रोविजन रखना चाहिए था। लिहाजा अब 2,615 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा। ऐसे में 31 मार्च 2019 को खत्म होने वाले बैंक का शुद्ध घाटा 8,339 करोड़ रुपये से 10,998 करोड़ रुपये हो गया है

यह है असलियत भारतीय बैंको की, इसका अर्थ यह भी है कि नेहरू जी आज भी नीचे आकर बैंको के बही खातों में आकर गड़बड़ी कर रहे हैं.

-GIRISH MALVIYA(वरिष्ठ पत्रकार)

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