बिहार में खुल गया स्कूल, मेदांता हॉस्पिटल के चेयरमैन ने जारी किया अलर्ट, कहा- यह फैसला गलत है

स्कूलों को खोलने पर डॉ त्रेहन की चेतावनी, ज्यादा बच्चे बीमार हुए, तो…कोरोना की तीसरी लहर के अलर्ट के बीच सभी राज्यों द्वारा स्कूलों को खोले जाने पर मेदांता अस्पताल के चेयरमैन ने चिंता जतायी है और कहा है कि अभी तक देश में बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, ऐसे में क्या स्कूलों को कुछ और महीने बंद नहीं रखा जा सकता है? आखिर राज्य सरकारें स्कूलों को जल्दी खोलने को लेकर उतना बेचैन क्यों हैं?

डॉ त्रेहन ने कहा कि अगर कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा संख्या में बीमार हो गये तो हमारे पास उनके इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में सुविधाएं नहीं हैं. हमारे देश की जनसंख्या बहुत ज्यादा है, इस बात का ध्यान रखते हुए हमें ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए. हमारे देश में बच्चों का टीका बहुत जल्दी तैयार होने वाला है, ऐसे में बच्चों को वैक्सीनेशन ने पहले स्कूल बुलाना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं लगता है.

डॉ त्रेहन ने कहा कि क्या हम कुछ महीनों तक धैर्य नहीं रख सकती हैं. कुछ ही महीनों में बच्चों के लिए कोरोना वायरस का टीका आ जायेगा. ऐसे में अगर बच्चे टीकाकरण के बाद स्कूल जायेंगे तो वे ज्यादा सुरक्षित होंगे और संक्रमण का खतरा कम होगा. मुझे नहीं पता कि आखिर स्कूल खोलने की इतनी जल्दी क्यों है?

दिल्ली में एक सितंबर से खुल रहे हैं स्कूल

जून-जुलाई के महीने में कोरोना की तीसरी लहर के कमजोर होने के बाद कई राज्यों में स्कूल खोल दिये गये. आज की जो स्थिति है, उसमें देखा जाये तो अधिकतर राज्य 9-12 तक के बच्चों के लिए स्कूल खोल चुके हैं. हालांकि अभी स्कूलों में उपस्थिति 50 प्रतिशत ही है, लेकिन बच्चे स्कूल जा रहे हैं. दिल्ली में भी एक सितंबर से कक्षा 9-12 तक के लिए स्कूल खोल दिये गये हैं और कक्षा 6-8 तक के लिए आठ सितंबर से स्कूल खुलने वाले हैं.

स्कूल खुलने पर कई राज्यों में बच्चे संक्रमित हुए

स्कूल खुलने के बाद कई राज्यों में बच्चे कोरोना संक्रमित हुए. अकेले बेंगलुरू शहर में ही 500 से अधिक बच्चे कोरोना संक्रमित पाये गये. इसके अलावा पंजाब से भी बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की सूचना है.

आईसीएमआर और एम्स निदेशक ने की थी स्कूल खोलने की वकालत

कोरोना वायरस की दूसरी लहर कमजोर होने के बाद आईसीएमआर और एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी स्कूलों को खोलने की वकालत की थी. इनका कहना था कि बच्चों में संक्रमण का असर ज्यादा नहीं दिखता है और पढ़ाई का बहुत नुकसान हो रहा है इसलिए स्कूलों को खोला जा सकता है.

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