CAA : शाहीन बाग की महिलाओं का ऐलान, कहा- तेज होगा आंदोलन, 4 हफ्ते तो क्या 4 साल तक देंगे धरना

सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर कहा है कि 4 हफ्ते में अपना जवाब जमा करें। उधर शाहीन बाग की महिलाओं ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हमारा आंदोलन इस निर्णय से कमजोर होने वाला नहीं है। हम और अधिक दम लगाकर CAA कानून का विरोध करेंगे। 4 हफ्ते तो क्या अगर सुप्रीम कोर्ट 4 साल का भी समय देती तो भी हम यहीं पर बैठे रहते और अपना आंदोलन जारी रखते।

बताते चलें कि शाहीन बाग में पिछले 1 महीने से महिलाओं का आंदोलन अनवरत जारी है। इसमें सभी धर्म की महिलाओं की सहभागिता है कुछ युवक और युवतियां भी इस आंदोलन को अपना समर्थन दे रही है। शाहीन बाग में एक से एक अनोखे नजारे देखने को मिल रहे हैं। कुछ युवक बच्चों को होमवर्क करवा रहे हैं तो, बगल में ही एक पुस्तकालय बना हुआ है, जहां पर चर्चित लेखकों का पुस्तक उपलब्ध है। आंदोलन में शामिल होने वाले लोग बड़े आराम से बैठकर पुस्तकें पढ़ रहे हैं।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर दायर 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि केंद्र का पक्ष सुने बगैर कानून पर रोक नहीं लगाएंगे। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सीएए को लेकर 144 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। अब नई याचिकाएं स्वीकार न की जाएं। अगर नई अर्जी आती रहीं तो हमें जवाब दाखिल करने के लिए ज्यादा वक्त चाहिए। अटॉर्नी जनरल ने इसके लिए 6 हफ्ते का समय देने की मांग की। इस पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते में सभी याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सीएए के विरोध वाली याचिकाओं पर 4 हफ्ते बाद ही कोई अंतरिम आदेश जारी किया जाएगा। अब 5 जजों की संविधान पीठ नागरिकता कानून की संवैधानिकता पर सुनवाई करेगी। इस दौरान वेणुगोपाल ने मांग की- सभी हाईकोर्ट से कहा जाए कि वे सीएए से जुड़े मामलों पर सुनवाई न करें। बेंच ने इस पर समहति जताई।

सुनवाई शुरू होने से पहले ही अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा- कोर्ट का माहौल शांत रहना जरूरी। उन्होंने चीफ जस्टिस से कहा- इस कोर्ट में कौन आ सकता है और कौन नहीं, इस पर नियम होने चाहिए। अमेरिकी और पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में भी कोर्ट रूम के अंदर आने वालों के लिए कुछ नियम हैं।सिब्बल ने कहा- अप्रैल में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसलिए कोर्ट को उससे पहले कुछ करना चाहिए। एनपीआर को 3 महीने के लिए टाला जाए, तब तक जज नागरिकता कानून पर चल रहे विवाद पर फैसला ले सकते हैं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *