शानदार-यादगार है यह तस्वीर, डांट सुन सकपकाया बच्चा, जवाब सुन भावुक हुआ पुलिस वाला

नफरत के इस दौर में ये मैसेज, ये तस्वीर रूह में उतर गई। ये दुनिया बेहद खूबसूरत है, अगर हम इंसानियत दिखाएं। अगर हम सिर्फ अपने बारे में नहीं, बल्कि दुनिया के कल्याण के लिए सोचें। ये मानवता के लिए लगाए गए आपातकाल की सबसे खूबसरत तस्वीर है। जिसमें एक मुस्लिम बच्चा है। और कर्नाटक के पुलिस अफसर हैं महंतेश बनप्पागोदुर। उन्होंने इस तस्वीर को फेसबुक पर शेयर करते हुए कन्नड़ में क्या लिखा उसको जानने के लिए गूगल ट्रांसलेटर से जो समझा वो मैं आपसे शेयर कर रहा हूं। कोई गलती हो तो बता सकते हैं, क्योंकि मुझे कन्नड़ नहीं आती, लेकिन तस्वीर देखकर मेसेज जानने की इच्छा हुई तो लिख रहा हूं, ताकि ये मैसेज हर शख्स तक पहुंचे नफरत को खत्म करने में मदद मिले…।

यह Sampigehalli पुलिस स्टेशन है। यह इलाका बड़ी मुस्लिम आबादी वाला है। हम इलाके में लॉकडाउन के दौरान अपनी पुलिस फोर्स के साथ ड्यूटी पर थे। दोपहर करीब 1 बजे सड़क पर पैर के निशान नहीं थे। सड़क पर खाने की तलाश में भटक रहे स्ट्रीट डॉग। यह COVID-19 का लॉकडाउन है।

बाहर मैंने तेज़ आवाज़ में छोटे लड़के के बारे में पूछा तो मेरी अचानक कड़क आवाज सुनकर उसने अपनी हैंडबुक गिरा दी…! 5वीं क्लास की सामाजिक विज्ञान, वह किताब है जिसे कपड़े के बैग में रखा गया था।

डर, भय और चिंता को उसके चेहरे पर देख फौरन उससे हमदर्दी जताई… आप डरो मत। मैं, आपके पिता का दोस्त हूं, जब वह अपनी रोने की आवाज में कहता है। मेरे पापा नहीं हैं। मां घर की सफाई कर रही हैं। मेरी मां ने मुझसे अपनी दोस्त के घर पढ़ाई करने के लिए भेजा है।

मैंने किताब उठाई और पूछा, बच्चे … आगे क्या करना चाहते हो..? फिर उसने अचानक कहा … मुझे पुलिस बनना है। एक पुलिसकर्मी होने के नाते उसकी बातें सुनकर, इच्छा, साहस और उत्साह मन में आया। फौरन मेरा मन बचपन के दिनों में फिसल गया, मैंने भी बचपन में पुलिस बनने का सपना देखा।

प्यार से उससे कहा तुम पुलिसवाले के साथ हो, डरों नहीं। एक दिन आप पुलिस अधिकारी बनोगे। अब, उसके चेहरे पर कुछ खुशी दिख रही थी। मैंने अपने पर्स से 100 रुपये निकालकर दिए। कहा चॉकलेट खा लेना।

यहां जो मैं कहने वाला हूं वह यह है कि मैं (पुलिस) एक जाति, एक धर्म को जानता हूँ, वह है खाकी जाति का धर्म..!

कुछ गद्दार हैं, जैसे हम आज सोशल नेटवर्क पर देखते हैं
एक पूरे समुदाय से नफरत करने के लिए कितना बेहतर है कि वे क्या करें … सोशल नेटवर्क पर झूठी ख़बरें फैलाना … आपसी जाति-धर्म का दुरुपयोग, सोशल नेटवर्किंग साइट्स का खुद को नैतिक पुलिस और नफरत के अंतिम न्यायाधीश मानते हैं।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, हिंदू मुसलमानों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आज़ादी हासिल की। आज हमें अपने व्यक्तिगत मुद्दों को अलग रखना होगा और भारत, दुनिया का राष्ट्र बनाना होगा। नफरत के बजाय प्यार को फैलाएं। हमारा देश हमारा गौरव है।

उन्होंने ये पोस्ट लिखते हुए, फीलिंग को जोड़ा कि सोशल डिस्टेंसिंग अपनाएं, कम्युनल डिस्टेंसिंग नहीं। छोटे से बच्चे के साथ बातचीत के दौरान महंतेश ने बच्चे के सिर पर पुलिस कैप रख दिया और उसकी ख्वाहिशों को, ख्वाबों को पंख दे दिए। समाज को नज़रिया दे दिया कि नफरत नहीं, मोहब्बत बांटिए। यहां ऐसा भी हो सकता था कि पुलिस अफसर बच्चे को डांटकर घर भगा देते है कि लॉकडाउन में कहां घूम रहे हो। क्योंकि देशभर से पुलिस के ऐसे विडियो सामने आ रहे हैं, जहां वो लठ से लोगों को पीट रहे हैं, जबकि उनको नौकरी इस बात की मिलती है कि वो लोगों की मदद करेंगे। जो संदेश महंतेश ने दिया है वो बेहद खूबसूरत है, उसको सभी तक पहुंचना ही चाहिए। क्योंकि कोरोना को लेकर एक हव्वा बना दिया गया है जहां नफरत वाले वीडियो सामने आ रहे थे, उस नफरत के पल्यूशन पर ये मोहब्बत की बारिश है।रियल हीरो।

mohd asgar

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