PATNA (Shivratri Special: Do you know where and by what name are the 12 Jyotirlingas of Baba Bholenath?) :आज शिवरात्रि है, अर्थात महरात्रि, वह पवन रात जिस दिन बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह धूमधाम के साथ हुआ था। कहा जाता है कि शिव बारात को देखकर दुल्हन की मां डर से कांप उठी थी और उन्होंने इस शादी से इनकार कर दिया था। बाद में बाबा भोलेनाथ ने ऐसा रूप धारण किया जिसे देखकर सब लोग मोहित हो गए। शिवरात्रि स्पेशल स्टोरी के तहत आज हम आपको बाबा भोलेनाथ से संबंधित कुछ विशेष बात बताने जा रहे हैं। इसमें हम आपको बताएंगे कि बाबा भोलेनाथ का द्वादश ज्योतिर्लिंग कहां और किस नाम से स्थित है और शिवरात्री के दिन यहां क्या कुछ होता है।
सोमनाथ : यह मंदिर गुजरात में बाबा सोमनाथ नाम से स्थापित है। यहां पर हर शिवरात्रि के दिन बाबा की पालकी निकाली जाती है। यह मंदिर भक्तों के लिए लगातार 24 घंटे तक खुला रहता है
मल्लिकार्जुन : बाबा भोलेनाथ का यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित है। यहां शिवरात्रि पर 11 दोनों का ब्रह्मोत्सव होता है और महारुद्राभिषेक का भी आयोजन किया जाता है। रथ पर शिव पार्वती की सवारी भी निकल जाती है
महाकालेश्वर : मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिव भक्तों को बाबा महाकाल के रूप में दर्शन देते हैं और शिवरात्रि पर यहां नौ दिनों तक बाबा का अलग-अलग रूपों का श्रृंगार होता है साल में सिर्फ इसी दिन दोपहर में भस्म आरती होती है।
ओंकारेश्वर : मध्य प्रदेश में ही बाबा भोलेनाथ का एक और विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जिसे ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है यहां माता पार्वती के साथ भगवान भोलेनाथ रात्रि विश्राम करते हैं और सोने से पहले चौसर खेलते हैं महाशिवरात्रि पर यह मंदिर 24 घंटे खुला रहता है और सायं आरती रात्रि 3:00 बजे होती है
केदारनाथ : उत्तराखंड में बाबा भोलेनाथ केदारनाथ के रूप में विराजित हैं और भक्तों के द्वारा उनको इसी रूप में पूजा अर्चना की जाती है। शिवरात्रि के दिन इस मंदिर का कपाट बंद रहता है मान्यता के अनुसार इस दिन कपाट खुलने की तिथि घोषित की जाती है
भीमाशंकर : महाराष्ट्र के पुणे में 110 किलोमीटर दूर सहयाद्री पर्वत पर भगवान भोलेनाथ भीमाशंकर के रूप में विराजित है। इस मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर तीन दिनों तक विशेष पूजा अर्चना की जाती है। यहां शिव की पूजा रात्रि में होती है। मान्यता है कि इस पूजन से भक्तों को दिव्या फल की प्राप्ति होती है।
काशी विश्वनाथ : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बाबा भोलेनाथ काशी विश्वनाथ के रूप में स्थापित हैं। मान्यता है कि बाबा भोलेनाथ ने यहां खुद अपने आप को विश्वनाथ के रूप में स्थापित किया है। एक साल में बस इसी दिन अर्थात शिवरात्रि के दिन पूरी रात पूजन के बाद बाबा विश्वनाथ बाघंबर स्वरूप में दूल्हा बनते हैं।
त्रयंबकेश्वर : महाराष्ट्र के नासिक में इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि गौतम ऋषि के आग्रह पर शिव भगवान स्थापित हुए थे शिवरात्रि पर सुबह 5:00 बजे पूजा शुरू होती है सुबह दोपहर और शाम में ढाई घंटे की पूजा होती है
बाबा बैजनाथ : झारखंड के देवघर में विराजित है बाबा बैजनाथ। इस स्थान को शक्तिपीठ भी कहा जाता है क्योंकि माता सती का हृदय यहीं पर गिरा हुआ है। महाशिवरात्रि के दिन बाबा का विशेष श्रृंगार और चार पहर में शिव पार्वती का महा अभिषेक होता है। धूमधाम से शिव बरात निकाला जाता है।
नागेश्वर : गुजरात के द्वारिका में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। श्रद्धालु यहां चांदी के नाग नागिन चढ़ाते हैं। मान्यता है कि यहां शिव पूजन से मन और शरीर जहर मुक्त होता है।
रामेश्वरम : तमिलनाडु के रामेश्वरम में भगवान राम ने लंका विजय से पहले भगवान रामेश्वरम की स्थापना की थी। महाशिवरात्रि पर शिव पार्वती की रथ यात्रा निकलता हैं या महोत्सव 12 दिनों तक चलता है।
घृष्णेश्वर : महाराष्ट्र के औरंगाबाद में घृष्णेश्वर महादेव स्थापित हैं शिवरात्रि पर 5 दिन का उत्सव होता है। महाभिषेक और रात्रि में महा पूजा होती है शिव को पालकी से तीर्थ कुंड ले जाया जाता है।