सर्वार्थ सिद्धि योग के महासंयोग के बीच 30 को मनाई जाएगी बसंत पंचमी, शुभ मुहुर्त सुबह 6.35 से

PATNA ; माघ शुक्ल पंचमी सर्वाथ सिद्धि याेग व सिद्ध याेग के महासंयाेग के बीच इस बार 30 जनवरी गुरुवार काे बसंत पंचमी मनार्इ जाएगी। इसी दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी माता सरस्वती की पूजा भी हाेगी। इस दिन छात्र-छात्राअाें समेत सभी तरह की शिक्षा में रत लाेग विद्या की अधिष्ठात्री देवी माता सरस्वती की पूजा करेंगे।

30 जनवरी काे सुबह 10.40 बजे तक पंचमी तिथि रहेगी। यानी उदया तिथि में पंचमी तिथि मिल रही है। ज्योतिर्वेद विज्ञान केन्द्र के निदेशक डाॅ.राजनाथ झा के अनुसार शास्त्राें में जिक्र है कि देवी-देवताअाें का अावाह्न प्रात: काल में ही करना चाहिए। इसलिए सूर्याेदय से लेकर सुबह 10.30 बजे तक माता सरस्वती की पूजा करना श्रेयस्कर रहेगा। शास्त्राें में वर्णित है कि माता सरस्वती बुद्धि और विद्या की देवी हैं। जिस छात्र पर मां सरस्वती की कृपा हो जाए उसकी बुद्धि बाकी छात्रों से अलग और बहुत ही प्रखर होती है। खासतौर पर बसंत पंचमी के दिन यदि कोई छात्र मां सरस्वती की अराधना करे, उनके मंत्रों का जाप करे या कोई अन्य उपाय करे तो मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

सबसे शुभ मुहुर्त 30 जनवरी की सुबह 6.35 बजे से आरंभ होगा
इस वर्ष माता सरस्वती की पूजा पर ग्रह-गोचरों का महासंयोग बन रहा है। पंचांगों के हवाले से बताया कि सरस्वती पूजा पर उत्तराभाद्र नक्षत्र, गुरुवार, सिद्धयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और 30 तारीख का महासंयोग बन रहा है। माघ शुक्ल चतुर्थी संयुक्त पंचमी तिथि बुधवार 29 जनवरी की सुबह बनारसी पंचांग के अनुसार 8.17 बजे से अाैर मिथिला पंचांग के अनुसार सुबह 8.29 बजे से शुरू होगी जो गुरुवार 30 जनवरी को 10.27 बजे तक है। पूजन के समय अबूझ मुहूर्त का भी संयोग बना है। माता के पूजन का सबसे शुभ मुहुर्त 30 जनवरी की सुबह 6.35 बजे से आरंभ होगा। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि 30 का सूर्योदय पंचमी में हो रहा है, इसीलिए बसंत पंचमी 30 को मनायी जाएगी। उदया तिथि के मान से पूरे दिन भी माता शारदे की पूजा-आराधना की जाएगी।

सरस्वती पूजा से अक्षरारंभ का होगा शुभारंभ
सरस्वती पूजा पर मंत्र दीक्षा, छोटे बच्चों का अक्षरारंभ भी किया जाता है। इस तिथि पर माता सरस्वती के साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, पुस्तक-लेखनी और वाद्य यंत्र की पूजा अति फलदायी मानी जाती है। श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर-गुलाल भी लगाते हैं। बसंत पंचमी के दिन ही गुप्त नवरात्र की पूजा भी की जाती है। फागुन की शुरुअात भी इसी दिन से मानी जाती है।

राशि के अनुसार करें मां सरस्वती की आराधना

मेष: सिंदूर, लाल फूल, गुलाबी अबीर अर्पण करें। वृष: हरे रंग की कलम, पीला फूल चढ़ाएं। मिथुन: श्वेत रंग की कलम, अपराजिता पुष्प, नारियल अर्पण करें। कर्क: लाल कलम, इत्र, अभ्रक चढ़ाएं। सिंह: पीले रंग की कलम, लाल फूल, अभ्रक अर्पित करें। कन्या: गुड़, अबीर, इत्र अर्पण तथा पुस्तक का दान करें। तुला: नीला कलम, पंचामृत, गुलाबी अबीर, इत्र चढ़ाएं। वृश्चिक: सफेद रेशमी वस्त्र, ऋतुफल, गंगाजल अर्पित करें। धनु: श्वेत चंदन, अबीर, पीला फूल चढ़ाएं। मकर: अरवा चावल, दही, पुष्प माला, शहद अर्पण करें। कुंभ: खीर, पीला अबीर, इत्र चढ़ाएं। मीन: सफेद वस्त्र, पीला फूल, घी अर्पित करें।

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