सिद्दीक़ी का छलका दर्द, बोले- चुनाव में हमें लालू की कमी खली, उनकी जगह कोई दूसरा नहीं ले सकता

पटना. बिहार के पूर्व मंत्री और RJD के सीनियर नेता अब्दुल बारी सिद्दीक़ी (Abdul Bari Siddiki) ने कहा है कि अगर लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) विधानसभा चुनाव के वक़्त जेल के बाहर होते तो आज तस्वीर कुछ दूसरी होती. राजद और महगठबंधन (Grand Alliance) का हाल ऐसा नहीं होता. अब जब चुनाव परिणाम आ गया है तो किसी पर आरोप प्रत्यारोप करने का कोई फ़ायदा नहीं है. अब किसी की कमी ढूंढने से ज़्यादा कमियों को दूर कर आगे बढ़ने की ज़रूरत है.

राजद की समीक्षा बैठक के ठीक पहले चुनाव में मिली हार को लेकर राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीक़ी ने पहली बार NEWS 18 से बातचीत करते हुए अपने मन की पीड़ा व्यक्त कर दी. सिद्दीक़ी ने इशारों में तेजस्वी के नीतियों पर भी सवाल उठा दिया.

सिद्दीक़ी ने कहा की आज राजद में लालू प्रसाद यादव की नीति और सिद्धांत को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है, कोई दूसरा व्यक्ति लालू यादव नहीं हो सकता है. लालू यादव की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है. सिद्दीक़ी इतना कहना नहीं भूलते की कम समय में तेजस्वी यादव ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है और इसे बरकरार रखने की ज़रूरत है.

दरअसल, राजद में अंदरखाने चर्चा है कि तेजस्वी एक ख़ास टीम से किसी महत्वपूर्ण मामले पर चर्चा करते हैं. पार्टी के अंदर कई ऐसे वरिष्ठ नेता हैं जो इस बात से नाराज़ हैं. अब्दुल बारी सिद्दीक़ी चुनाव में मिली हार के लिए अपनी ही पार्टी संगठन और नेता से नाराज़ चल रहे हैं. उनकी नाराज़गी दूर करने के लिए खुद लालू यादव ने पहल की और उन्हें मनाया. इसी का नतीजा है की दरभंगा के राजद ज़िलाध्यक्ष को पार्टी से निकाल बाहर कर दिया गया. सूत्र बताते हैं कि सिद्दीक़ी की नाराज़गी अभी भी दूर नहीं हुई है.

ख़बर ये भी है की राजद की समीक्षा बैठक में सिद्दीक़ी का ग़ुस्सा सामने आ सकता है. राजद की बैठक में ये कहा गया है कि अगर किसी को किसी मुद्दे पर नाराज़गी है तो वो आवेदन लिख कर आ सकते है. ऐसे कई हारे हुए नेता हैं जो इन मुद्दों को उठा सकते हैं.

सिद्दिकी के इस बयान पर कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं कि राजद की समिक्षा बैठक उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है. हर पार्टी चुनाव के बाद समीक्षा करती है और राजद भी कर रही है. JDU ने राजद की समीक्षा बैठक पर चुटकी ली है. JDU प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं कि अगर राजद चिराग़ पासवान का सहारा नहीं लेता और तुक्का नहीं लगता तो राजद को इतनी सीट कभी नहीं आती. तेजस्वी को बड़े नेताओं से संवादहीनता पर चर्चा करनी चाहिए और परिवारवाद का अर्थ अपने नेताओं को समझना चाहिए .

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