चांदी की कीमतों में हाल ही में आई तेजी ने निवेशकों, ज्वैलर्स और उपभोक्ताओं के बीच हलचल मचा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जून 2025 तक चांदी की कीमत ₹1,30,000 प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। इसके मुख्य कारण हैं:
चीन द्वारा दुर्लभ-पृथ्वी चुम्बकों के निर्यात पर प्रतिबंध
चीन ने हाल ही में दुर्लभ-पृथ्वी चुम्बकों के निर्यात पर कड़े नियम लागू किए हैं। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। नतीजतन, निर्माता अब चांदी और तांबे आधारित मोटर डिजाइनों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे चांदी की मांग में वृद्धि हुई है।
इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में चांदी की बढ़ती खपत
दुर्लभ-पृथ्वी की कमी के कारण, ईवी मोटरों में चांदी आधारित सोल्डर पेस्ट और बसबार का उपयोग बढ़ रहा है। प्रत्येक ईवी में नाममात्र मात्रा में चांदी की खपत होती है, लेकिन वैश्विक उत्पादन स्तर पर, यह अतिरिक्त मांग लाखों औंस में तब्दील हो जाती है।
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लगातार पाँचवें साल वैश्विक आपूर्ति घाटा
2025 लगातार पाँचवाँ साल है जब चांदी की वैश्विक माँग आपूर्ति से अधिक है। चांदी के उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा तांबे या सीसा-जस्ता खनन का उप-उत्पाद है। कीमतों में वृद्धि के बावजूद, खनन क्षमता तुरंत नहीं बढ़ पा रही है, जिससे भौतिक बाजार में आपूर्ति की कमी हो रही है।
निवेशकों और ज्वैलर्स के लिए सलाह
- ज्वैलर्स: नए अनहेज्ड सिल्वर कॉन्ट्रैक्ट में निवेश करने से बचें और कॉल ऑप्शन का उपयोग करें।
- निवेशक: सिल्वर ETF या फिजिकल सिल्वर बार में निवेश करें और अत्यधिक लीवरेज वाले डेरिवेटिव से बचें।
- ट्रेडर्स: ₹1,16,000-₹1,22,000 के वोलैटिलिटी ज़ोन पर नज़र रखें और उपयुक्त प्रवेश बिंदुओं पर विचार करें।
इस रैली को एक संरचनात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जो EV क्रांति और आपूर्ति घाटे के कारण चांदी के रणनीतिक महत्व को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।
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निष्कर्ष:
चांदी की कीमतों में संभावित उछाल सिर्फ़ एक अस्थायी उतार-चढ़ाव नहीं है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हो रहे बड़े बदलावों का नतीजा है। चीन द्वारा दुर्लभ-पृथ्वी चुम्बकों पर लगाया गया प्रतिबंध, इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र से तेज़ी से बढ़ती मांग और आपूर्ति में जारी कमी – ये सभी कारक चांदी को एक रणनीतिक धातु के रूप में स्थापित कर रहे हैं। ऐसे में, ₹ 1,30,000 प्रति किलोग्राम का अनुमानित स्तर एक कल्पना नहीं बल्कि एक संभावित वास्तविकता है।
निवेशकों और व्यापारियों को इस बदलाव को सिर्फ़ मूल्यवृद्धि के नज़रिए से नहीं देखना चाहिए, बल्कि अपनी दीर्घकालिक निवेश रणनीति में चांदी को एक स्थिर विकल्प के रूप में रखना चाहिए। साथ ही, सावधानी और विवेक के साथ काम करना ज़रूरी है, क्योंकि अस्थिरता इस बाज़ार का एक स्वाभाविक हिस्सा बनी रहेगी।