चिंता न करें… आज हमारी तो कल सबकी बारी है…#StandwithJNU

JNU के मैं कितने ही बच्चों को जानता हूं, जिन्हें JRF की स्कॉलरशिप मिलती है. उनकी स्कॉलरशिप से 8 हजार रूपये महीने हॉस्टल में रहने का HRA कट जाता है.

अगर स्वार्थी होकर सोचेंगे, तो हॉस्टल की फीस बढ़ने का उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा , उनके वैसे भी 8 ही हजार कटने हैं.
लेकिन फिर भी जब पुलिस की लाठियां खाने का वक्त आया तो ये PhD स्कॉलर कतार में सबसे आगे थे. बैरीकेट तोड़ते हुए जब आवाज सत्ता तक पहुंचानी थी तो इन्होने अपने जिस्म पर आने वाली खरोचों की गिनती छोड़ दी.

जानते हैं किसलिए? वो JNU की विरासत आगे बढ़ाने के लिए खड़े थे, वो JNU की उस शिक्षा के लिए खड़े थे जिसे हासिल करने का सपना झारखंड की रैट माइन्स के भीतर से कोयला निकालने वाले का बच्चा, राजस्थान में पत्थर काटने वाले का बच्चा और तमिलनाडु के मछुआरे का बच्चा ना केवल देख सकता है बल्कि उसे हासिल भी करता है.

करोड़ों की घूस लेने के आरोप में जेल जाने वाले एंकर 300 रूपये की काल्पनिक कॉफी बिकने की JNU में बात करेंगे, TRP ले लेंगे, दर्शक भी बक्से के इन चमकते कार्टूनों की बात सही मान लेते हैं.

लोग कहेंगे किसान का बच्चा जर्मन और रशियन क्यों पढ़ रहा है लोग कहेंगे और कहेंगे और कहकर थक जाएंगे, लेकिन शिक्षा,स्वास्थ्य रोजगार के लिए सरकार से सवाल पूछने नहीं आयेंगे.

कायर जब बहादुर को देखता है तो डर जाता है, वो बहादुर को कायर घोषित करने के लिए हजारो बहाने ढूंढ़ता है उन बहानों में छिपता है, बहानों में बह जाता है लेकिन बहादुर बनने का साहस नहीं जुटा पाता.
JNU को ऐसे कायरों से फर्क नहीं पड़ता. जिन्होंने देश के लिए कभी कुछ नहीं किया सिर्फ गालियां दी हैं वो देशभक्ति की झूठी टार्च लेकर दूसरों को देशद्रोही घोषित करते रहेंगे.

लेकिन JNU अपनी मशाल खुद जलाता है उम्मीद है उस मशाल की सामने झूठों को भी अपने सामने सच का उजाला दिखेगा.
सबको मालूम है JNU के छात्र सच के लिए लड़ रहे हैं.
कायर खुद को सन्तुष्ट रखने के लिए कितने भी झूठे तर्क गढ़ लें कितने भी गालियां दे दें. इन्हें एक दिन सच जरूर दिखना शुरू होगा.

-Deepankar Patel

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