चुनाव लड़ने के कारण बीवी ने छाड़ा साथ, नहीं माना लड़ता रहा और आज बन बैठा पंजाब का सीएम

सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाया ;संगरूर में गुरुवार को ‘आप’ के सीएम पद के प्रत्याशी भगवंत मान चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद मां संग पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे। इस दौरान वह भावुक हो गए व मां हरपाल कौर को गले लगा लिया : बीबी छोड़ दी की नेता बनोगे तो मैं साथ नहीं रहूँगी। बंदा नहीं माना, चुनाव लड़ा पहली बार निर्दलीय। हार गया, तो बीबी छोड़ ही दी। लेकिन माँ साथ रही। माँ साथ रही तो आज बेटा चीफ़ मिनिस्टर बन गया। ये तस्वीर आज की है, माँ मंच पर आयी तो बेटा रोने लगा।मुझे याद है साल 2017 का वो दिन। जब मै जलालाबाद में भगवंत मान जी की माता जीं के साथ ही केम्पेन में रहता था, बहुत प्यार करती थी माता जी। बूढ़ी माता जी दिन रात प्रचार करती थी। बेटा तब हार गया था। माँ ने हार नहीं मानी । आज बेटे को CM बना दिया। माँ भगवान है। उससे बड़ी कोई ताक़त नहीं।

कांग्रेस को पंजाब में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। पार्टी को भरोसा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर वह अपने खिलाफ सत्ता विरोधी लहर खत्म करने में सफल रही। पर पहला दलित सीएम देने के बावजूद पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने में विफल रही।

भगवत को सीएम पद का उम्मीदवार बनाने से आप को लाभ मिला : ‘आप’ कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने में सफल रही। भगवत मान को सीएम पद का उम्मीदवार बनाने से भी पार्टी को लाभ मिला। क्योंकि, वह मालवा में लोकप्रिय हैं और इस क्षेत्र में 69 सीटें हैं। मालवा जीतने वाला ही अमूमन पंजाब जीतता है। किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली की सीमा पर धरना दे रहे किसानों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने से भी आम आदमी पार्टी को फायदा मिला।

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