बिहार का यह सरकारी स्कूल है टॉपर्स की फैक्ट्री, सक्सेस की गारंटी है यहां पढ़ना, अब बनेंगे IAS-IPS

सिमुलतला अब पूरे बिहार का गौरव बन चुका है। सिमुलतला आवासीय विद्यालय बिहार की आन-बान और शान है। मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में यहां के विद्यार्थी कामयाबी की बुलंदी पर हैं। संयुक्त बिहार में नेतरहाट स्कूल का नाम पूरे देश में था। इसी स्कूल की तर्ज पर बिहार में यह स्कूल खोला गया है। इस स्कूल की विशिष्टता का अंदाजा इसी बात से लगाया ज सकता है कि इस साल यहां के 20 छात्रों का IIT में चयन हुआ है। वह दिन भी दूर नहीं जब यहां के विद्यार्थी IAS की परीक्षा में भी अपना परचम लहराएंगे। साल 2000 में बिहार के विभाजन की वजह से नेतरहाट स्कूल झारखंड में चला गया। नेतरहाट स्कूल के गौरव का एक लंबा इतिहास है।

सरकारी व्यवस्था का यह सर्वश्रेष्ठ स्कूल है। बंटवारे के बाद बिहार में इस स्कूल की कमी महसूस की जाने लगी। 2005 में जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस कमी को दूर करने का बीड़ा उठाया। नीतीश कुमार ने सरकार के अधिकारियों के साथ कई बैठकें की लेकिन कोई स्पष्ट रूपरेखा नहीं तैयार हुई। नीतीश ने 2009 में नेतरहाट के कुछ पूर्ववर्ती छात्रों को अपने अनुभवों के आधार पर एक श्रेष्ठ स्कूल का ब्लूप्रिंट तैयार करने को कहा। हाटियंस टीम ने दिनरात मेहनत कर इसकी रूपरेखा बनायी। फिर इस टीम में कुछ शिक्षाविदों को जोड़ा गया। एक साल के अंदर ही स्कूल की परिकल्पना साकार हो गयी। नेतरहाट स्कूल की कामयाबी में उसके लोकेशन का भी बहुत हाथ रहा है। इसी तर्ज पर बिहार में भी जंगल के बीच शांत इलाके में स्कूल खोलने का प्रस्ताव तैयार हुआ।

स्थान के रूप में सिमुलतला का चयन किया गया। पहाड़ और जंगल की गोद में बसा सिमुलतला जमुई जिले का चर्चिच स्थान रहा है। अंग्रेजों के शासन के दौरान बड़े बड़े लोग यहां छुट्टियां बिताने आते थे। वॉयसराय, ढाका की महारानी ने गर्मी के दिनों में रहने के लिए यहां अपनी कोठी ही बनवा रखी थी। महाकवि रवीन्द्र नाथ टैगोर भी लिखने के लिए ठहरते थे। सिमुलतला दिल्ली-पटना- हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर अवस्थित एक प्रमुख स्टेशन है जो झाझा रेलवे स्टेशन से 19 किलोमीटर दूर है। शुरू में इन्ही पुरानी कोठियों में स्कूल का संचालन शुरू हुआ था। 2010 में सिमुलतला आवासीय विद्यालय के लिए बिहार में प्रतियोगिता परीक्षा हुई। पूरे राज्य से कुल 120 मेधावी विद्यार्थियों का चयन किया गया। इसमें 60 छात्र और 60 छात्राएं थीं। इस मायने में यह स्कूल नेतरहाट से अलग है क्यों कि नेतरहाट में केवल छात्र ही पढ़ते हैं। लेकिन सिमुलतला में कॉएजुकेशन का प्रावधान है। यहां पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी है लेकिन परीक्षा हिन्दी और अंग्रेजी में होती है।

नेतरहाट की तरह ही यहां पढ़ाने के लिए पूरे देश से योग्यतम शिक्षकों का चयन किय़ा गया। विद्वान शिक्षकों को यहां लाने के लिए बहुत ही आकर्षक वेतन दिया गया। यहां 265 दिन पढ़ाई और 100 दिन छुट्टी रहती है। सभी 120 विद्यार्थी गुरुकुल परम्परा की तरह शिक्षक के साथ आश्रम रहते हैं । स्कूल की पढ़ाई के बाद भी शिक्षक दिन और रात में छात्रों को मार्गदर्शन देते हैं। जिस छात्र के अभिभावक की सालाना आमदनी डेढ़ लाख से कम होती है उसकी पढ़ाई मुफ्त में होती है। डेढ़ लाख से तीन लाख के बीच आमदनी रहने पर सालाना 10 हजार रुपये की फीस लगती है। अधिक आमदनी रहने पर अधिक फीस लगती है।

जब इस स्कूल का पहला बैच मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हुआ तो उसने अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ दिया। 2015 में बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में इस स्कूल के 30 विद्यार्थियों ने टॉप टेन में जगह बनायी। कई छात्र- छात्राओं को एक समान अंक मिले थे। 2016 की मैट्रिक परीक्षा में सिमुलतला के 42 विद्यार्थियों ने टॉप टेन में जगह बनायी थी। 2017 की परीक्षा में इस स्कूल ने पहले की अपेक्षा थोड़ा कमतर प्रदर्शन किया है। टॉप टेन में केवल 14 विद्यार्थी ही अपना स्थान बना पाए हैं। बिहार का टॉपर इस बार जमुई के गोविंद हाईस्कूल, मानो, जमुई से निकला है जिसका नाम है प्रेम कुमार। सिमुलतला को मेरिट लिस्ट में दूसरा स्थान मिला है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *