प्रसाद से किया जाता है लाखों गरीब मरीज का इलाज, 100 साल पुराना है पटना का महावीर मंदिर

उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर में रामनवमी के दिन अयोध्या की हनुमानगढ़ी के बाद सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती है। इस साल भी पूरा मंदिर परिसर जय श्रीराम के नारे से गूंजायमान है। भगवान हनुमान का यह मंदिर प्राचीन मंदिरों में शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं? इस मंदिर की खासियत के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं।

हनुमान चालीसा में वर्णित चौपाई है ‘नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा’। पटना जंक्शन के निकट स्थित हनुमान मंदिर इसको चरितार्थ करता दिखता है। यहां हनुमान वास्तव में संकट मोचक हैं तभी तो कैंसर से पीड़ित लोगों का कल्याण भी करते हैं। यह मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि लाखों लोगों के उपकार का माध्यम भी है।

मंदिर में चढ़ने वाला नैवेद्यम् प्रसाद एवं दान पेटी से प्राप्त राशि से कैंसर पीड़ितों का इलाज होने के साथ ही कई सामाजिक कार्य भी हो रहे हैं। आइये इस मंदिर के इतिहास से परिचित होते हैं।करीब सौ साल पहले हनुमान की प्रतिमा कुछ भक्तों ने स्थापित की थी। तब शायद ही किसी ने यह कल्पना की होगी कि आने वाले समय में यह हजारों लोगों का भरण-पोषण कर कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों के इलाज में भूमिका निभाएगी। महावीर मंदिर के सचिव एवं न्यास समिति के आचार्य किशोर कुणाल बताया कि साल 1983 में मंदिर ने आध्यात्मिक जागरण के साथ ही सामाजिक विकास के केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाई।

मंदिर के कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए मार्च 1990 में एक नए न्यास का गठन हुआ। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मंदिर में चढ़ने वाले चढ़ावे एवं नैवेद्यम् प्रसाद से मिलने वाली राशि को परोपकार के कामों में लगाया जाता है। अक्टूबर 1987 को धार्मिक न्यास बोर्ड का पदभार संभालने के बाद वर्ष 1989 में कंकड़बाग में पहले महावीर आरोग्य संस्थान की नींव डाली गई। यहां पर गरीबों के इलाज के लिए बेहतर काम किया जाना लगा। आचार्य के अनुसार डॉक्टरों के प्रयास और लोगों के विश्वास ने हमें और मजबूत बनाया।

इसके बाद फुलवारीशरीफ में 12 दिसंबर 1998 को महावीर कैंसर संस्थान की स्थापना हुई। इसका उद्घाटन बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने किया। गरीब और असहाय लोगों के इलाज का खर्च महावीर मंदिर करने लगा। एक तरह से कहा जाए तो हनुमान मंदिर में चढ़ने वाला नैवेद्यम कैंसर जैसे असाध्य रोग से पीड़ित मरीजों के लिए संजीवनी बूटी बनकर उभरा। कैंसर संस्थान में मरीजों का कम कीमत में इलाज तो होता ही है, तीन वक्त का भोजन भी निश्शुल्क मिलता है।

मरणासन्न हालत वाले मरीजों के लिए मुमुक्षु भवन का निर्माण करने की योजना है। कुणाल बताते हैं कि मंदिर की राशि से बच्चों के इलाज के लिए महावीर वात्सल्य हॉस्पिटल बनाया गया है। हनुमान मंदिर की सालाना आय लगभग 12 करोड़ रुपये है। इसे मंदिर के जीर्णोद्धार और विभिन्न अस्पतालों पर खर्च किया जाता है। आचार्य कुणाल बताते हैं कि पैसे दरिद्र नारायण भोजन, 18 वर्ष तक के कैंसर मरीजों के इलाज और देखभाल के लिए 15 हजार रुपये दिए जाते हैं। आने वाले दिनों में चंपारण जिले में भव्य विराट रामायण मंदिर बनाने की योजना है।

इसके लिए मंदिर प्रबंधन की ओर से प्रयास किया जा रहा है।साथ ही मंदिर के पैसे से पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। यह उत्तर भारत की सबसे बड़ी धार्मिक न्यास समिति है जो धार्मिक कार्यो के साथ ठोस रूप से परोपकार का काम करती है। मंदिर में चढ़ने वाले चढ़ावे का पूरा लेखा-जोखा रखा जाता है। साथ ही मंदिर से कमाई का पूरा पैसा परोपकार के कार्यो में लग जाता है। हनुमान को चढ़ने वाला नैवेद्यम् प्रसाद एवं चढ़ावा आमदनी का मुख्य स्रोत हैं। देखा जाए तो नैवेद्यम् प्रसाद से मरीजों का इलाज हो रहा है।

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