13 February 2025

बिहार के सुपौल में परीक्षा के दौरान किताब खोलकर चीटिंग करते रहे छात्र, सोशल मीडिया में फोटो वायरल

Students in Bihar's Supaul were cheating by keeping their books open during exams, photo goes viral on social media
Students in Bihar's Supaul were cheating by keeping their books open during exams, photo goes viral on social media

PATNA (SUPAUL) : हम बिहारी हैं और हम यहां के नागरिक हैं… आप कुछ भी कर लीजिए लेकिन हम सुधरने वाले नहीं हैं… हमारे लिए ना तो कोई नियम है और ना किसी तरह का कानून… हमारे मन में जो आएगा हम वही करेंगे… संभवत: ग्रेजुएशन की परीक्षा में किताब खोल चोरी करने वाले छात्रों के मन में यही आया होगा, तभी तो वे लोग परीक्षा केंद्र में खुलेआम नकल कर रहे थे और उन्हें किसी बात का डर नहीं था. दैनिक भास्कर अखबार में आज एक खबर छपी है वह भी फोटो के साथ. जिसकी हेडिंग है ग्रेजुएशन की परीक्षा में किताब खोल छात्रों ने की खुलेआम नकल… इतना ही नहीं प्रिंसिपल साहब का स्टैंड भी छपा है, उसके अनुसार हेडिंग दिया गया है छात्र-छात्राओं को पढ़ने का समय ही नहीं मिला…

अब सवाल उठता है कि आखिर छात्र-छात्राओं को पढ़ने का समय क्यों नहीं मिला और अगर नहीं मिला तो परीक्षाएं क्यों करवाई गई और परीक्षाएं करवाई गई तो नकल करने का अधिकार किस संविधान ने दिया है.

ताजा अपडेट के अनुसार सोशल मीडिया में जो फोटो वायरल हो रहा है वह सुपौल जिले के राघोपुर प्रखंड के केएन डिग्री कॉलेज का बताया जाता है. गुरुवार को यहां ग्रेजुएशन की परीक्षा चल रही थी. इस दौरान बच्चे किताब खोलकर, गाइड लेकर, गेस पेपर लेकर या यूं कहे तो एक तरह से चीटिंग बनाकर परीक्षा में खुलेआम लिख रहे थे. बताया जाता है कि यहां पर ललित नारायण मिश्र स्मारक कॉलेज बीरपुर के स्नातक तृतीय सेमेस्टर का परीक्षा केंद्र बनाया गया था. सेकंड सिटिंग में हिंदी की परीक्षा हो रही थी.

जैसे ही परीक्षा का आरंभ हुआ वैसे ही छात्र ताबड़तोड़ चीटिंग करते हुए देखे गए किसी के मन में किसी बात का कोई डर नहीं था. इस संबंध में जब कॉलेज के प्रिंसिपल प्रमोद खीरहरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि छात्रों को पढ़ने का समय नहीं मिला. पिछले साल 11 दिसंबर से लेकर 18 दिसंबर तक एडमिशन हुआ और तुरंत एक साथ फॉर्म भर दिया गया. विश्वविद्यालय द्वारा 23 सितंबर को परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया गया. कुल मिलाकर कहा जाए तो बच्चों को पढ़ने के लिए मात्र 4 दिन का समय मिल सका.

नोट : खबर में दी गई तस्वीर दैनिक भास्कर अखबार में प्रकाशित हुई है…

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