सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को जारी किया नोटिस, पूछा- मुस्लिम लड़कियों के लिए अलग उम्र क्यों है

मुस्लिम लड़कियों के विवाह की अलग उम्र पर सवाल : प्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि मुस्लिम लड़कियों के विवाह के लिए अलग उम्र का प्रावधान क्यों है. ऊंट ने मोदी सरकार को 4 सप्ताह में इस बात को लेकर जवाब देने को कहा है कि हिंदू लड़कियों के लिए देश के संविधान में अलग उम्र की तैसी मां और मुस्लिमों के लिए अलग से सीमा किस बात के आधार पर किया गया है.

ताजा अपडेट के अनुसार महिला आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत एक जनहित याचिका दर्ज की गई है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की बेंच में हो रही है. कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट सहित देश के कई हाईकोर्ट की ओर से किए गए फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.

मुस्लिम धर्म के अनुसार लड़कियों की शादी के लिए कोई तेवर सीमा नहीं है. इनके अनुसार लड़कियों की शादी मासिक धर्म शुरू होने के बाद कभी भी की जा सकती है. वही याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में खुलेआम पोक्सो एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है

आयोग ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें 15 साल की भी मुस्लिम लड़की के विवाह को जायज बताया गया है।

विवाह कानून एक जैसा हो

तिरुवनंतपुरम। वैवाहिक विवादों में पति-पत्नी के सामान्य कल्याण और भलाई के लिए केंद्र सरकार को भारत में समान विवाह संहिता पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह बात कही।

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