मुजफ्फरपुर कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जांच के लिए CBI को तीन महीने का वक्त दिया

PATNA (DAILY BIHAR) : बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच के लिए तीन महीने का वक्त दिया है। सोमवार को सीबीआई ने इस केस में सुप्रीम कोर्ट में सील बंद रिपोर्ट दाखिल की साथ ही मामले की जांच के लिए कोर्ट से और छह महीने का समय मांगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे नकारते हुए सीबीआई को तीन महीने का वक्त दिया।

इस मामले पर याचिका कर्ता निवेदिता झा ने कहा कि आज मुजफ्फरपुर शेल्टर होम को लेकर मेरे द्वारा दायर पिटीशन पर उच्चयतम न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला दिया। कोर्ट ने सीबीआई को तीन महीने के भीतर जांच की रिपोर्ट सौपने का आदेश दिया जिसमें दो महत्वपूर्ण बिंदू पर जांच के आदेश दिए। शेल्टर होम में कौन बाहरी लोग आते थे औऱ बच्चियों को दे-ह व्यपार के लिए किन ठिकानों पर ले जाया जाता था। न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​और न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई से कहा है कि वे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अ-प्राकृतिक से-क्स) के तहत आरोपों की जांच करें। साथ ही जाँच एजेंसी को कथित वीडियो रिकॉर्डिंग, लड़कियों के यौन शोषण और मानव तस्करी की भी जांच करने का आदेश दिया। हम उम्मीद करते हैं कि न्याय की जीत होगी। अभी लंबी है राह पर लड़ेंगे, जीतेंगे।

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इस मामले में नियुक्त सरकारी न्याय मित्र ने कोर्ट को बताया कि सीबीआई द्वारा ह-त्या के मामले की जांच बहुत तेजी से नहीं की जा रही है। कोर्ट ने इस मामले में आईटी एक्ट के तहत भी जांच करने की बात कही साथ ही कहा कि कौन-कौन से लोग जो बाहरी थे शेल्टर होम आते थे इसकी भी जांच हो। न्याय मित्र ने कहा कि शेल्टर होम में रह रही बच्चियों को अभी भी खतरा बना हुआ है ऐसे में सीबीआई को शेल्टर होम में रह रही बच्चियों की सुरक्षा सुनिशित करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को तीन महीने का समय देते हुए जांच पूरा करने का निर्देश दिया। बिहार के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से आरोपी ब्रजेश ठाकुर को भी झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपियों के पक्ष को सुप्रीम कोर्ट नहीं सुनेगा। कोर्ट ने इस केस में धारा 377, IT एक्ट और विजिटर जो लड़कियों का उत्पीड़न, ड्रग या ट्रैफिकिंग करते थे उनके बारे में भी जांच करने को कहा है।

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