चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का गुस्सा, वकील से कहा धमकी मत दो, अभी के अभी कोर्ट से बाहर जाओ

सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ अचानक गुस्से में लाल हो गए. अपना आपा खो दिया. कोर्ट में जिरह के दौरान मानो पूरा माहौल तल्ख़ हो गया. पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकासशील और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के बीच का बताया जाता है. कोर्ट के अंदर क्या हुआ इस बात का अंदाजा उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान माहौल तब बेहद तल्ख हो गया, जब मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह के बीच तीखी बहस हो गई। बात इस हद तक पहुंच गई कि मुख्य न्यायाधीश ने वरिष्ठ वकील को धमकी नहीं देने और अदालत छोड़ने का निर्देश जारी कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने नाराजगी जताते हुए कहा, अदालत में ऊंची आवाज में बात नहीं कर सकते। दरअसल, एससीबीए अध्यक्ष विकास ने मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष बताया कि वह पिछले छह महीने से वकीलों के चैंबर के लिए जमीन आवंटन मामले को सूचीबद्ध कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ अचानक गुस्से में लाल हो गए. अपना आपा खो दिया. कोर्ट में जिरह के दौरान मानो पूरा माहौल तल्ख़ हो गया. पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकासशील और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के बीच का बताया जाता है. कोर्ट के अंदर क्या हुआ इस बात का अंदाजा

बार की ओर से माफी मांगी सिंह इस केस के सूचीबद्ध नहीं होने पर नाराजगी जाहिर कर रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे यह मुद्दा आक्रामक बहस में बदल गया। बाद में शिवसेना के मामले में कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बार की ओर से पीठ से माफी मांगी।

● विकास सिंह एससीबीए की याचिका पर अप्पू घर की जमीन उच्चतम न्यायालय को मिली और एससीबीए को सिर्फ एक ब्लॉक दिया गया। पूर्व मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण के कार्यकाल में इस भूमि पर निर्माण शुरू होना था। छह माह से मामले को सूचीबद्ध कराने की जद्दोजहद में लगे हैं।

● डी वाई चंद्रचूड़ आप इस तरह जमीन नहीं मांग सकते। आप हमें एक दिन बताइए जब हम पूरे दिन बेकार बैठे हों।

● विकास सिंह मैंने यह नहीं कहा कि आप पूरे दिन बेकार बैठे हैं। मैं केवल मामले को सूचीबद्ध कराने की कोशिश कर रहा हूं। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो मुझे इस मामले को आपके आवास तक ले जाना होगा।

● डी वाई चंद्रचूड़ (यह सुनकर चंद्रचूड़ उत्तेजित हो गए और कहा) आप मुख्य न्यायाधीश को धमकी मत दीजिए। कृपया बैठ जाइए। इसे इस तरह सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा। आप मेरी अदालत से जाए। मैं इस तरह मामले को सूचीबद्ध नहीं करुंगा। आप मुझे दबा नहीं सकते।

● वकास सिंह (पक्ष रखते हुए ऊंची आवाज में बोलने लगे।)

● डी वाई चंद्रचूड़ (नाराजगी दिखाते हुए) मिस्टर विकास सिंह, अपनी आवाज इतनी ऊंची मत कीजिए। मुझे दुख है कि आप संवाद का स्तर गिरा रहे हैं। आपने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की है और दावा किया कि उच्चतम न्यायालय को आवंटित जमीन चैंबर निर्माण के लिए बार को दे देनी चाहिए। हम मामले के आने पर इसे देखेंगे।

● विकास सिंह अगर आप इसे खारिज करना चाहते हैं तो कृपया कर दीजिए, लेकिन ऐसा मत कीजिए कि इसे सूचीबद्ध ही न किया जाए।

● डी वाई चंद्रचूड़ मैं मुख्य न्यायाधीश हूं। मैंने कभी खुद पर बार के किसी सदस्य, वादी द्वारा दबाव नहीं बनाने दिया है। मैं अब भी ऐसा नहीं करुंगा।

● विकास सिंह (अपना पक्ष रखते हुए कहा) यह कोई अक्खड़पन नहीं है। अगर एससीबीए इस अदालत के साथ सहयोग कर रहा है तो इसका यह मतलब नहीं कि उसे हल्के में लिया जाना चाहिए।

● डी वाई चंद्रचूड़ अपना एजेंडा अदालत कक्ष के बाहर जाकर सुलझा लें। इसे 17 तारीख को लिया जाएगा और यह सूची में पहले नंबर पर नहीं होगा।

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