पढ़ाई में अव्वल थे सुशांत, इंजीनियरिंग एंट्रेस में पाया था 7वां रैंक, फिजिक्स के नेशनल ओलंपियाड विनर

सुशांत पढ़ाई में भी अव्वल थे। उन्होंने 2003 में दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंट्रेस एग्जामिनेशन में 7वीं रैंक हासिल की थी। उन्हें फिल्मों में काम करने का शौक था। यही उन्हें खींच कर मुंबई ले गया था।

फिजिक्स के नेशनल ओलंपियाड विनर : सुशांत सिंह राजपूत की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई पटना के सेंट कैरेंस हाई स्कूल में हुई थी। दिल्ली आने के बाद उन्होंने कुलाची हंसराज मॉडल स्कूल में दाखिला लिया। सुशांत सिंह राजपूत पढ़ने-लिखने में काफी अच्छा थे। उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम में सातवां रैंक हासिल किया था। वे फिजिक्स में नेशनल ओलंपियाड विनर भी थे।

सुशांत सिंह राजपूत ने चर्चित इंडियन स्कूल ऑफ माइंस समेत इंजीनियरिंग के 11 एंट्रेंस एग्जाम क्लियर किया था, लेकिन एडमिशन उन्होंने डीसीई में ही लिया। डीसीई में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही राजपूत डांस और थिएटर में भाग लेने लगे। इसमें उनका मन लगने लगा। इसी कारण चार साल की पढ़ाई को उन्होंने तीन साल में ही छोड़ दिया और पूरी तरह एक्टिंग में कॅरियर बनाने के लिए मुंबई आ गए। टीवी पर उनका पहला सीरियल बालाजी टेलीफिल्म्स का ‘किस देश में है मेरा दिल’ था।

पैतृक गांव में लड़कियों के लिए स्कूल खोलना चाहते थे

किसे पता था, 11 मई को 17 साल बाद अपने पैतृक गांव मलडीहा आए सुशांत की गांव की यह उनकी अंतिम यात्रा होगी? यह बताते हुए उनके रिश्ते में चाचा राकेश सिंह की आंखें डबडबा गई। राकेश ने बताया कि सुशांत अपनी माटी के लिए कुछ करना चाहता था। उनकी अपने पैतृक गांव मलडीहा में लड़कियों के लिए स्कूल खोलने की इच्छा थी। वे गांव के बच्चों खासकर बेटियों की पढ़ाई के लिए काफी चिंतित थे। लेकिन, उनका यह सपना उनके साथ ही चला गया। साल भर पहले मलडीहा आए सुशांत ने कहा था-अब इतने दिन बाद नहीं, फिर जल्द ही पूर्णिया आऊंगा। अगली बार जब यहां आऊंगा तो फणीश्वरनाथ रेणु की सौंधी माटी की महक का अहसास करने उनके गांव औराही हिंगना जाऊंगा। बॉलीवुड के स्टार कलाकार सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड की खबर सुनकर मलडीहा समेत पूर्णिया में रह रहे उनके रिश्तेदार व परिजन हतप्रभ हैं।

स्टार होने का जरा भी गुमान नहीं था, परिवार को उस पर नाज था

मूलत: मलडीहा के रहने वाले पूर्णिया के सामाजिक कार्यकर्ता राकेश सिंह कहते हैं कि हमलोगों को विश्वास ही नहीं हो रहा कि सुशांत ने सुसाइड किया है। वह ऐसा लड़का नहीं था। परिवार वालों को उस पर नाज था। मलडीहा में दो दिन उनके साथ बिताए पलों को याद करते हुए राकेश ने बताया कि वह काफी सरल व हंसमुख था। इतने बड़े एक्टर होने का उन्हें जरा भी गुमान नहीं था। वे इस तरह लोगों से मिलते थे कि मानो गांव का कोई साधारण युवक हो। सुशांत इतने दिनों बाद अपने लोगों के बीच आकर काफी खुश था। प्रसिद्ध बरुणेश्वर स्थान मंदिर व मलडीहा कृष्ण मंदिर में पूजा-अर्चना कर वह सबकी सुख-समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना की थी।

नानी की मन्नत पूरी करने पिछले साल ननिहाल आए थे सुशांत

चौथम (खगड़िया) | बौरणय गांव में पिछले साल 13 मई 2019 को जिस सुशांत के आने से उत्सवी माहौल था, वहीं ठीक 13 माह बाद उनके नि/धन की खबर मिलते ही ननिहाल में शो/क की लहर है। सुशांत पिछले साल नानी उमा देवी की मन्नत पूरा करने के लिए यहां आए हुए थे। सुशांत चार बहनों पर इकलौते भाई थे। उनकी नानी ने सुशांत के जन्म के लिए बौरणय स्थित प्रसिद्ध देवी शक्ति पीठ में उनके मुंडन संस्कार की मन्नत मांगी थी। सुशांत के ननिहाल में पांच मामा बिरेंद्र सिंह, हरेंद्र सिंह, शविनेंद्र सिंह, राघवेंद्र सिंह और भूपेंद्र सिंह हैं। सुशांत उनके इकलौते भांजे थे। वर्तमान में सुशांत के सभी मामा सहरसा में रहते हैं और बौरणय स्थित उनका पुस्तैनी घर सुनसान पड़ा हुआ है। इधर, मौत के बात उनके चचेरे मामा रणवीर सिंह ने बताया कि सुशांत बहुत ही शांत और सरल स्वभाव का धनी था। कभी ऐसा नहीं लगा कि वो इस तरह का कदम भी उठा सकता है।

सुशांत खेतों और बगीचों में गए थे। वो पेड़ पर भी चढ़े थे। बॉलीवुड स्टार की इस सरलता को देख गांववाले भी हैरान थे। उन्होंने किसी को निराश नहीं किया और सभी के साथ सेल्फी ली। साथ ही उन्होंने वहां क्रिकेट भी खेला था। सुशांत गांव में ही कृष्ण भगवान के मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद प्रसिद्ध भोले बाबा के मंदिर बरूणेश्वर स्थान भी गए थे। वह खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड के बोरणय गांव मुंडन करवाने गए थे। ये मनौती उनकी मां ने मांगी थी।

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