सुशील मोदी : छात्र राजनीति से निकल संघर्ष के बल पर हासिल किया मुकाम

व्यक्तिगत परिचय/ जन्म : 05 जनवरी 1952, पिता : मोती लाल मोदी, माता: रत्ना देवी ,पत्नी: जॉर्ज जेसी मोदी, संतान : दो पुत्र

सामान्य परिवार से निकलकर बिहार के राजनीतिक शिखर तक पहुंचने वाले सुशील कुमार मोदी ने अपने जीवन में संघर्ष भी कम नहीं किया। भाजपा में बिहार के सबसे बड़े चेहरा सुशील मोदी एक दौर था जब आर्थिक परेशानी में थे, मगर इसे राजनीति के प्रति अपने समर्पण की राह में बाधा नहीं बनने दिया। जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने शिक्षण संस्थान भी चलाए।

मुख्य रूप से छात्र संघ की सियासत से उपजे सुशील मोदी जेपी आंदोलन में काफी सक्रिय रहे। जेल भी गए। इनकी पहचान निर्भिक नेता की है। एक दौर था जब छात्र राजनीति में लालू प्रसाद और सुशील मोदी साथ हुआ करते थे। बाद में दोनों की राह अलग हो गई। आज उनकी पहचान लालू के प्रबल विरोधी की है। लालू के शासन में कई बड़े घोटालों का खुलासा किया। बाद में लालू के पुत्र सत्ता में थे तब भी कई मामलों को उठाया जिनका जवाब आज तक नहीं आया है। श्री मोदी जब भी मौका मिलता था लालू को छोड़ते नहीं थे। मोदी की दिलचस्पी पिता के कपड़े के व्यवसाय में नहीं थी। वे उपमुख्यमंत्री के अलावा कई विभागों के मंत्री रह चुके हैं।

जननायक कर्पूरी ठाकुर के बाद सुशील मोदी उन चंद नेताओं में से एक हैं, जो घटनास्थल पर जाने में विश्वास रखते हैं। तथ्यात्मक, संयमित, संतुलित भाषण और आपा न खोना इनकी पहचान है। कागजी आंकड़ों में महारत हासिल कर चुके सुशील मोदी भाजपा के बिहार के वरिष्ठ नेता हैं। सरकार के अहम विभागों का काम संभाल रहे राज्य के तीसरे उपमुख्यमंत्री हैं।

2015 के महागठबंधन की सरकार के पतन के मुख्य खिलाड़ी
बिहार में 2015 में बनी राजद-जदयू-कांग्रेस की महागठबंधन सरकार के पतन के मुख्य खिलाड़ी सुशील मोदी ही रहे। लालू परिवार के खिलाफ बेनामी संपत्ति का आरोप लगाते हुए वे डेढ़ माह तक लगातार सरकार पर हमलावर रहे। परिणाम हुआ कि जदयू महागठबंधन से अलग हो गया और 2017 में एनडीए फिर से पुराने स्वरूप में आ गया। वहीं, विभिन्न मुद्दों पर विरोधियों को घेरने वाले सुशील मोदी आठ साल तक नेता प्रतिपक्ष रहे। उसी दौरान पटना हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल किया। बाद में यही पीआईएल बिहार ही नहीं, पूरी देश-दुनिया के लिए चर्चित चारा घोटाले के रूप में उजागर हुआ। लालू-राबड़ी सरकार का पतन और एनडीए सरकार को सत्ता में लाने में चारा घोटाले की भूमिका को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता।

जेपी के आह्वान पर बीच में छोड़ दी पढ़ाई
इनकी स्कूली शिक्षा पटना के सेंट माइकल स्कूल में हुई। बीएससी बीएन कॉलेज से की। 1974 में जेपी के आह्वान पर एमएससी की पढ़ाई छोड़ दी और 19 महीने तक जेल में रहे। भारत-चीन युद्ध 1962 के दौरान मोदी काफी सक्रिय थे। स्कूल के छात्रों को शारीरिक फिटनेस व परेड आदि का प्रशिक्षण देने को सिविल डिफेंस के कमांडेंट बने। उसी साल आरएसएस की सदस्यता ली। 1968 में आरएसएस का उच्चतम प्रशिक्षण यानी अधिकारी प्रशिक्षण कोर्स ज्वाइन किया। मैट्रिक पास करने के बाद आरएसएस के विस्तारक की भूमिका में दानापुर व खगौल में काम किया। बाद में पटना शहर के संध्या शाखा का इंचार्ज भी बने।

राजनीतिक गतिविधि : 1962 : सिविल डिफेंस का कमांडेंट बनकर छात्रों में जागरूकता अभियान चलाया। 1968 : आरएसएस से जुड़े और आजीवन सदस्य बने।
1973 : पटना विवि छात्र संघ के महासचिव बने। 1974 : बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति के सदस्य बने।1974 : जेपी आंदोलन में सक्रिय रहे और 19 महीने तक जेल में रहे। 1977 : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े।1983 : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय स्तर पर महासचिव बने।

अनुशासन इनकी पहली पसंद : अनुशासन इनकी पहली पसंद है। बिहार का बजट 23 हजार करोड़ से दो लाख करोड़ करोड़ पार कर चुका है तो वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में इनका अहम योगदान है। इसका ही असर था कि मनमोहन सरकार ने जीएसटी लागू करने से पहले हुए काम के लिए उपमुख्यमंत्री को देशभर के वित्त मंत्रियों के समूह का अध्यक्ष बनाया।

अहम पद जिसे संभाला : नवम्बर 1996 से 2004 तक बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। वर्ष 2000 में सात दिनों की नीतीश सरकार में संसदीय मंत्री बने। नवंबर 2005 : बिहार के तीसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। जुलाई 2011 : जीएसटी मंत्रियों की सशक्त समिति के अध्यक्ष बने। जून 2013 : भाजपा के सरकार से अलग होने पर विप में नेता प्रतिपक्ष बने। जुलाई 2017 : नीतीश सरकार में फिर से बिहार के उपमुख्यमंत्री बने।

1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीते
1990 में सक्रिय राजनीति में शामिल उपमुख्यमंत्री पटना केंद्रीय (अब कुम्हरार) विधानसभा से चुनाव जीते। 1996 से 2004 तक आठ साल तक बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। 2004 में भागलपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। 2000 में सात दिनों की नीतीश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बने। झारखंड गठन के प्रबल समर्थक मोदी 2005 में बिहार में एनडीए के शासन में आने पर लोकसभा से इस्तीफा देकर बिहार के उपमुख्यमंत्री बने। जून 2013 में भाजपा के नीतीश सरकार से अलग होने तक वे उपमुख्यमंत्री रहे। सरकार से हटने पर बिहार विधान परिषद में विरोधी दल के नेता तथा बिहार विधानमंडल में विरोधी दल के भी नेता बने। जुलाई 2017 से फिर से उपमुख्यमंत्री हैं।

कुर्ता, पायजामा व बंडी पसंद
उपमुख्यमंत्री पूरे साल कुर्ता-पायजामा व बंडी पहनते हैं। सर्दी के दिनों में जूता वरना चप्पल पहना इनकी पसंद है। शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं। घर का बना-बनाया खाना में अधिक विश्वास करते हैं। परिवार के साथ ही अपने निकटवर्ती लोगों के प्रति केयरिंग इनका स्वभाव है।

पल-पल का करते हैं इस्तेमाल
समय का सदुपयोग करने में मोदी का कोई सानी नहीं है। कभी खाली नहीं बैठते। देश-दुनिया की हर गतिविधियों से अवगत रहते हैं। फोन का जरूर जवाब देते हैं। स्वच्छ छवि और काम के प्रति समर्पण इनकी ताकत है। एक दिन में चाहे कितने भी कार्यक्रम क्यों न हो, सभी भाषणों में तथ्यों का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। विरोधियों पर व्यक्तिगत हमला करने में परहेज नहीं करना भी इनकी पहचान है।

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