आज है तीज, कल धूमधाम से मनेगा गणेश चतुर्थी और चौरचन, भगवान गणपति को यह प्रसाद कभी ना चढ़ाएं

पुराणों के मुताबिक गणेश जी का जन्म भादौ की चतुर्थी को दिन के दूसरे प्रहर में हुआ था। उस दिन स्वाति नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त था। ऐसा ही संयोग 19 सितंबर को बन रहा है। इन्हीं तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग में मध्याह्न यानी दोपहर में जब सूर्य ठीक सिर के ऊपर होता है, तब देवी पार्वती ने गणपति की मूर्ति बनाई और उसमें शिवजी ने प्राण डाले थे।

इस बार गणेश स्थापना पर मंगलवार का संयोग बन रहा है। विद्वानों का कहना है कि इस योग में गणपति के विघ्नेश्वर रूप की पूजा करने से इच्छित फल मिलता है। गणेश स्थापना पर शश, गजकेसरी, अमला और पराक्रम नाम के राजयोग मिलकर चतुर्महायोग बना रहे हैं।

इस दिन स्थापना के साथ ही पूजा के लिए दिनभर में सिर्फ दो मुहूर्त रहेंगे। वैसे तो दोपहर में ही गणेश जी की स्थापना और पूजा करनी चाहिए। समय नहीं मिल पाए तो किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में भी गणपति स्थापना की जा सकती है।

देवी-देवता को भोग लगाते समय बिल्कुल न रखें ये एक चीज, वरना गणपति नहीं करेंगे इसे ग्रहण, नहीं मिलेगा पूजा का पूरा फल :

हिंदू धर्म में देवी-देवता की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत, उद्यापन करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही भक्त अपने आराध्य को रोजाना कोई न कोई अवश्य लगाता है। प्रत्येक देवी-देवता की पूजा की विधि अलग होती है। शास्त्रों के मुताबिक, भोग के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रिय खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है। कई भक्तगण देवी-देवता को उस खाने का भोग लगाते हैं, जो उन्होंने सभी सदस्यों के लिए बनाया है जिसे वह खूबसूरत तरीके स थाली में सजाकर भगवान का भोग लगाते हैं। लेकिन ऐसे में भोग लगाते समय एक गलती कर देते हैं, जिससे प्रथम पूज्य गणेश उस भोग को ग्रहण नहीं करते हैं। जानिए पुराणों के अनुसार भोग लगाते समय किस चीज को पहले से नहीं रखना चाहिए।

स्कंद पुराण, शिव पुराण के अनुसार, विष्णु पुराण के अनुसार देव-देवता को भोग लगाते समय कुछ नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। इसे पवित्र पौधे में एक माना जाता है और जिस घर में तुलसी लगी होती है। उस घर में सकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है। इसके साथ ही व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से निजात मिलने के साथ जीवन में आने वाले बड़े संकटों से बचाव भी हो जाता है।

भगवान विष्णु के अलावा उनके अवतारों को तुलसी दल चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके बिना भोग वह ग्रहण नहीं करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी भगवान शिव के साथ प्रथम पूज्य गणपति को नहीं चढ़ाई जाती है।

शिव पुराण के अनुसार, महादेव को तो तुलसी दल के बजाय मंजरी चढ़ा सकते हैं। लेकिन गणपति जी को तुलसी बिल्कुल भी नहीं चढ़ाई जाती है।

आमतौर पर जब हम देवी-देवता के लिए रसोई घर में भोजन बनाते हैं, तो इसे एक थाली में निकाल लेते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि किचन से ही थाली में तुलसी बिल्कुल भी न रखें।

दरअसल, सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। इसलिए उन्हे भोग भी सबसे पहले लगाया जाता है। इसके उपरांत दूसरे देवी-देवता को भोग लगाते हैं। ऐसे में अगर आप किचन से ही थाली में तुलसी रख लेंगे, तो गणपति बप्पा बिल्कुल भी इस भोग को ग्रहण नहीं करेंगे। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि भोग में पहले से तुलसी दल न रखें। पूजा घर में लाने के बाद ही इसमें तुलसी दल रखें। जब तक आप तुलसी दल रखें। उतनी ही देर में भगवान गणेश अपनी दृष्टि से भोग को ग्रहण कर लेंगे। इसके बाद अन्य देवी-देवता भी भोजन ग्रहण कर लेंगे।

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