CM महंगाई-पलायन पर कुछ क्यों नहीं बोलते हैं, अनुकंपा पर बहाल लोग होंगे नियमित

महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने दावा किया कि चुनाव का पहला और दूसरा, दोनों चरण हम जीत चुके हैं। बिहार के लोगों ने एनडीए और सीएम नीतीश कुमार की विदाई तय कर दी है। लोगों का उत्साह बता रहा है कि तीसरे चरण में भी महागठबंधन के पक्ष में बढ़-चढ़कर वोटिंग होगी। पीएम मोदी द्वारा तीसरे चरण के प्रचार में श्रीराम का जिक्र करने पर कहा कि बिहार चुनाव का यह मुद्दा नहीं है। मुद्दा है बेरोजगारी, रोजगार, दवाई, पढ़ाई और सिंचाई, हमें इन पर ही बात करनी चाहिए।

जदयू की ओर से उनके और उनके बड़े भाई के हलफनामे को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराने की बात पर कहा कि इसपर हमें कुछ नहीं कहना है। यह भी बिहार चुनाव का मुद्दा नहीं है। तीसरे चरण के चुनाव का मुद्दा है- सीमांचल के लोगों के पलायन को रोकना। दो महीने तक प्रवासी मजदूर बाहर से आते रहे। उनके साथ बिहार या केंद्र की सरकार ने जो व्यवहार किया वो दुखदायी था। तीसरे चरण में बाढ़ भी बिहार का अहम मुद्दा है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आलू-प्याज फेंके जाने की घटना की निंदा करते हुए कहा कि विरोध करने का यह तरीका बिल्कुल गलत है। अगर किसी को किसी का भी विरोध करना है तो वो लोकतांत्रिक तरीके से करें। इस तरह से विरोध करना गलत है। यह निंदनीय, अलोकतांत्रिक और अवांछनीय व्यवहार है। लोकतंत्र में प्रतिरोध की अभिव्यक्ति सिर्फ मतदान में होनी चाहिए और इसके अलावा कोई भी तरीका स्वीकार्य नहीं हो सकता।

तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनी तो पढ़ाई, कमाई, दवाई, सिंचाई, सुनवाई और कार्रवाई के लिए काम करेगी। डबल इंजन की सरकार में एक भी नौजवान को नौकरी नहीं मिली। राज्य की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई। अस्पतालों की बदहाली भी छिपी नहीं है। उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में महंगाई है, पलायन की समस्या है, गरीबी है, उद्योग-धंधे नहीं हैं, इन सब पर वे क्यों कुछ नहीं बोलते हैं। इसलिए बिहार की जनता से वे एक मौका मांग रहे हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में हमारी सरकार बनी तो 10 लाख लोगों को नौकरी देंगे। अनुकंपा पर बहाल लोगों को नियमित किया जाएगा। तेजस्वी ने बुधवार को पूर्णिया के जलालगढ़ और बनमनखी में चुनावी सभा को संबोधित किया।

भी विरोध करना है तो वो लोकतांत्रिक तरीके से करें। इस तरह से विरोध करना गलत है। यह निंदनीय, अलोकतांत्रिक और अवांछनीय व्यवहार है। लोकतंत्र में प्रतिरोध की अभिव्यक्ति सिर्फ मतदान में होनी चाहिए और इसके अलावा कोई भी तरीका स्वीकार्य नहीं हो सकता।

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