‘ हम लोगों के नेता लालू प्रसाद यादव जी आज इस बीमार अवस्था में भी आपके आंदोलन का समर्थन करने यहां पहुंचे हैं. आप लोगों का साथ देने यहां, आप लोगों के हाथों को मजबूत करने यहां हम सब लोग यहां पहुंचे हैं. हम लोग किसी भी कीमत पर, चाहे सत्ता रहे या जाए. इसकी हम लोगों को परवाह नहीं है. लेकिन यह गैर संवैधानिक बिल और अलोकतांत्रिक बिल का हम लोगों ने सदन में भी विरोध किया था. संसद में भी विरोध किया था. और विधानसभा में भी दोनों सदनों में चाहे विधानसभा हो या विधान परिषद मैं हम लोगों ने कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया है. आज हम आप लोगों को यह बताने आए हैं की हम लोग पूरी मजबूती के साथ आप लोगों के साथ खड़े हैं. ‘

तेजस्वी यादव जब वक्फ बिल के समर्थन में भाषण दे रहे थे तब मुसलमान समाज के लोगों का, खासकर युवाओं का उत्साह देखने लायक था. बगल में उनके बीमार पिता लालू प्रसाद यादव कुर्सी पर बैठे हुए थे. देख कर लग रहा था मानो तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा का मुद्दा तय कर लिया है और ठान लिया है कि मुसलमान समाज के लोगों को गोल बंद कर सत्ता की कुर्सी पर बैठ जाना है. यही कारण था कि इस आंदोलन में वह अपने बीमार पिता को भी लेकर पहुंच गए.
पटना के गर्दनीबाग में वक्फ बिल के विरोध में तमाम मुस्लिम संगठनों के द्वारा एकदिवसीय धरना प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस आंदोलन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, AIMIM के अख्तरुल इमान, चंद्रशेखर रावण, जनसुराज पार्टी के प्रशांत किशोर सहित हजारों की संख्या में लोग आए थे. पूरा पंडाल खचाखच भरा हुआ था.

कार्यक्रम की अवधि 10:00 बजे से लेकर दोपहर 2:00 तक तय की गई थी. लेकिन सुबह 9:00 से ही लोगों का आना शुरू हो चुका था. मुसलमान समाज के लोग धरना स्थल पर पहुंचने लगे थे. इधर दूसरी ओर बिहार विधानसभा में राजद सहित विपक्ष के तमाम विधायकों ने वक्फ बिल के समर्थन में हाथों में पोस्टर लेकर नारेबाजी शुरू कर दी थी. भाई वीरेंद्र, महबूब आलम शाहिद तमाम विपक्षी दल के विधायक गण मीडिया कर्मियों को बताने वालों कि आज उन्होंने विधानसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव दिया है.
तय समय पर जब बिहार विधानसभा की कार्यवाही आरंभ हुई तो विपक्ष के नेताओं ने जबरदस्त हो हंगामा किया. कुछ लोग तो कुर्सी तक उछलने लगे. यह देख कर बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने हाउस को 2:00 तक के लिए स्थगित कर दिया. उस समय तेजस्वी यादव हाउस में उपस्थित नहीं थे.

विपक्ष के सभी नेता और विधायक बिहार विधानसभा से बाहर निकलने लगे और सीधे गर्दनीबाग धरना स्थल पर बारी-बारी से पहुंचने लगे. थोड़ी देर में खबर आती है कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव आने वाले हैं. मीडिया कर्मियों की भीड़ धरना स्थल पर जुटने लगी. जैसे ही लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की गाड़ी धरनस्थल पर पहुँचती हैं वहां उपस्थित भीड़ मानो बेकाबू होने लगती है.
किसी तरह भीड़ को साइड करके लालू प्रसाद यादव को पकड़ कर तेजस्वी यादव मंच पर लेकर पहुंचते हैं. थोड़ी देर बाद पहले तेजस्वी यादव को भाषण देने के लिए बुलाया जाता है और उसके बाद लालू प्रसाद यादव जहां बैठे थे वहीं बैठे-बैठे लोगों को संबोधित करते हैं. पहले तेजस्वी यादव चैलेंज करते हुए कहते हैं कि इस नागपुरिया कानून को वे लागू नहीं होने देंगे.
तेजस्वी यादव ने कहा धार्मिक भेदभाव पर आधारित किसी भी कानून का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। हमारे मुस्लिम भाई-बहन अकेले नहीं हैं, अन्याय, अत्याचार और नफ़रत के खिलाफ लड़ाई में हम उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनसे भी आगे खड़े है। यह हमारी सांझी लड़ाई है। न्याय, समानता और गरिमा की बहाली के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। हम एकता में विश्वास रखते हैं, विभाजन में नहीं। जब हम एक साथ खड़े होते हैं, तो न्याय की जीत होती है। हम पीछे नहीं हटेंगे, हम चुप नहीं बैठेंगे और हम अन्याय को कानून नहीं बनने देंगे।

वहीं लालू प्रसाद यादव ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे अपना समर्थन दिया है.
वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार मिश्रा कहते हैं कि सवाल उठता है कि लालू प्रसाद यादव बीमार होने के बाद भी इस धरना स्थल पर समर्थन देने क्यों पहुंचे. धरना स्थल पर तेजस्वी यादव का जाना ही अपने आप में यह बताने के लिए काफी था कि राजद इस बिल का विरोध कर रही है. कहीं ना कहीं तेजस्वी यादव को डर सता रहा है कि आगामी बिहार विधानसभा में मुस्लिम समाज के लोग RJD के अलावे अगर नीतीश कुमार के साथ साथ, प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज और ओवैसी की पार्टी AIMIM में चली गई तो उनकी पार्टी का क्या होगा. कहीं 2010 बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम जैसी स्थिति न बन जाए.
अशोक मिश्रा यह भी कहते हैं कि राजद के पास ना तो लोकसभा में और ना विधानसभा में अधिक संख्या बल है. पूरा विपक्ष मिल जाए तो भी इस बिल को रोक नहीं जा सकता. फिर तेजस्वी यादव ऐसा चलेंगे क्यों कर रहे हैं कि इस बिल को पास होने नहीं दिया जाएगा. मनसा साफ है बिल रूके या पास हो मुसलमान समाज के लोगों को संदेश देना था जो उन्होंने धरना स्थल पर अपने पिता के साथ दे दिया. अब अगर बिल पास भी हो जाता है तो उनके वोटर एकजुट हो चुके हैं.
दूसरी ओर छात्र संगठनों का आरोप है कि बीपीएससी में धांधली को लेकर कई महीनो से पटना के गर्दनीबाग में छात्रों का धरना प्रदर्शन चल रहा है उसमें शामिल होने के लिए तो कभी तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद यादव को लेकर नहीं पहुंचे थे. तो फिर इस बार क्या मजबूरी थी कि वह अपने बीमार पिता को लेकर गर्दनीबाग धरना स्थल पहुंच गए. जबकि सबको पता है कि लालू प्रसाद बीमार है उनकी किडनी का ट्रांसप्लांट किया गया है. डॉक्टर ने उन्हें भीड़ से बचने के लिए कहा है.
… अंत में सवाल उठता है कि 15% मुस्लिम वोट को पाने के लिए तेजस्वी यादव 85% हिंदू समाज के मतदाताओं को नाराज क्यों कर रहे हैं. क्योंकि हमने पिछले लोकसभा चुनाव में देखा था कि यादव समाज के लोगों ने भी मुसलमान उम्मीदवार को वोट करने से साफ मना कर दिया था. इतना ही नहीं मुसलमान समाज के लोगों ने भी यादव उम्मीदवारों को उतना वोट नहीं दिया जितना देना चाहिए था. उदाहरण के लिए आप दरभंगा लोकसभा सीट और मधुबनी लोकसभा सीट का परिणाम देख सकते हैं. दरभंगा से राजद ने ललित यादव को वोट दिया था और मधुबनी से पूर्व सांसद अली अशरफ फ़ातिमी को उम्मीदवार बनाया गया था. दोनों सीट पर राजद हार गई. ललित यादव को सभी यादवों ने वोट दिया तो मुसलमान भाग गए और मधुबनी में फ़ातिमी को मुसलमान लोगों ने वोट दिया तो यादव समाज के लोगों ने बीजेपी का साथ दे दिया. कुल मिलाकर कहा जाए तो लालू प्रसाद यादव का माय समीकरण टूट चुका है और बिखर चुका है. अब देखना दिलचस्प होगा कि पूरे बिहार में लालू प्रसाद यादव का मुस्लिम और यादव समीकरण बन पाता है या नहीं और तेजस्वी बिहार के अगले मुख्यमंत्री बनकर शपथ ले पाते हैं या नहीं.