राजद की चुनावी तैयारी , क्या अकेले तेजस्वी सब पर भारी, क्या तेजस्वी आगामी विधान सभा चुनाव को अंतिम पारी समझ कर खेल रहे ।
बिहार में पिछले 35 वर्षों से जेपी आंदोलन की गर्भ से निकले राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव और उनके छोटे भाई नीतीश कुमार का राज है ।समय समय पर इन दोनो की भूमिका एक दूसरे के बनती बिगड़ती है ।यानि कभी नीतीश लालू को मुख्यमंत्री बनाते है तो कभी लालू नीतीश को ।ये अलग बात है कि नीतीश के सहयोग से बने सीएम की कुर्सी पर बैठने के बाद लालू ने नीतीश को ही सत्ता से बेदखल कर दिया तो दूसरी ओर लालू के खिलाफ एवं लालू के सहयोग से सीएम बने नीतीश ने समय समय पर लालू और उनके परिवार को सत्ता से बेदखल कर दिया ।

पिछले दिनों नीतीश ने विधान सभा में तेजस्वी को इसका अहसास भी कराया था ।क्या नीतीश ने लालू को सीएम बनाने में महती भूमिका निभाई थी इस पर कभी हम विस्तृत रूप से बाद में चर्चा करेंगे ।लेकिन पिछले 35 वर्षों में लालू और नीतीश दोनों बड़े भाई और छोटे भाई का बिहार की गद्दी पर कब्जा रहा है ।लेकिन कहा जाता है कि समय परिवर्तन शील है और 15 वर्ष तक बिहार को सरकार फ्रंट और बैक से चलाने वाले लालू की राजनीतिक पारी अब समाप्त हो चुकी है ।वहीं 20 वर्षों तक बिहार के मुखिया बने रहे नीतीश भी शायद अब अंतिम पारी ही खेल रहे है ।ऐसा मै इसलिए कह रहा हूं कि जिस तरह से बीजेपी ने बिहार में चुनावी तैयारी कर रही है उस हिसाब से भले ही 2025 में अगर एन डी ए को बहुमत मिलता भी है तो नीतीश भले सीएम होंगे लेकिन रिमोट कंट्रोल बीजेपी के ही हाथ में होगा ।इसकी वजह भी साफ है तब तक नीतीश की उम्र भी 80 के करीब हो जाएगी और शासन पर पकड़ भी बीजेपी की।मजबूत होगी ।
लेकिन अब सवाल उठता है कि नीतीश के बाद नई पीढ़ी में सबसे प्रबल दावेदार तेजस्वी के सामने और कौन युवा चेहरा होंगे ।सम्राट चौधरी चिराग पासवान या फिर नीतीश के पुत्र निशांत ।खैर ये सब बाते बाद की है फिलहाल ऐसा लग रहा है कि 2020 सत्ता के करीब पहुंच कर भी चुक गए तेजस्वी यादव ने इस बार अंतिम पारी खेलने का मन बना लिया है ।2020 में बेरोजगारी और सरकारी नौकरी का मुद्दा बनाकर 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा कर तेजस्वी ने अपने पार्टी ही नहीं गठबंधन की लाज बचा ली और 75 सीट राजद को करीब 110 सीटें गठबंधन को दिलाकर सत्ता से कुछ दूर ही रह गए ।ये अलग बात है कि ऐ आईं एम एम के चार विधायकों को तोड़ने के बाद भी वे सत्ता पर काबिज नहीं हो सके और अंत में तो अपनी पार्टी के विधायकों की भी संभाल नहीं सके ।

हालांकि 2020 के राजद को जीत और जेडीयू की हार में मुख्य भूमिका चिराग पासवान की थी जिन्होंने 145 सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और करीब 5.66 प्रतिशत वोट भी लाया था ।हालांकि सिर्फ एक सीट बेगूसराय के मटिहानी में उनके उम्मीदवार जीते जिन्होंने बाद में जेडीयू का दामन थाम लिया ।ऐसा नहीं है कि तेजस्वी इसे नहीं समझते है ।यही वजह है कि वो अपने माई समीकरण के तहत 14.26%यादव और 17.70% मुस्लिम मतदाताओं को तो अपना कोर वोट समझते ही है 2.60% निषाद यानि मुकेश सहनी के वोट को भी अपने साथ जोड़ रखा है ।यानि करीब 33% प्रतिशत वोट को वह अपनी तरफ अगर मान कर भी चलते है तो भी उन्हें चुनाव जीत के लिए कम से कम 40%0वोट की जरूरत है ।इस समीकरण को समझ कर ही तेजस्वी ने तैयारी शुरू कर दी है और नीतीश के कोर वोट बैंक में सेंधमारी का प्रयास शुरू कर दिया है ।
अपने इस अभियान के तहत उन्होंने नीतीश का मुख्य कर बैंक महिलाओं के लिए माई बहन योजना के तहत 2500 रुपया नकद देने के ऐलान के साथ ही बेटी यानि महिलाओं के लिए बेनिफिट एजुकेशन ट्रेनिंग एवं आय प्रोग्राम चलाने का ऐलान किया है ।तेजस्वी को लगता है कि अगर आधी आबादी के कुछ हिस्से को भीअगर अपने हिस्से में लाने में वो सफल हो जाते है तो उन्हें बड़ा लाभ मिल सकता है।
दूसरा दलित वोट में पासी जिनकी जनसंख्या करीब 12 लाख के करीब हैं उनको रिझाने के लिए फिर से तारी को शराबबंदी के दायरे से हटाने का ऐलान किया है ।दूसरी ओर चिराग पासवान के स्वजातीय यानि पासवान के वोट बैंक जो करीब 5.31% के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को साथ लेने को तैयार है ।इतना ही नहीं युवा मतदाता जिसमें सभी जाति एवं धर्म के मतदाता है उनको रिझाने के लिए सरकारी नौकरी का ऐलान तो कर ही रहे सीधा संवाद कर डोमिसाइल नीति बनाने का भी वादा कर रहे ।

इसके अलावा विभिन्न संगठनों जैसे रसोइया संघ , आशा बहु , समेत अन्य संगठनों को मांगे अपनी सरकार बनने पर पूरा करने का ऐलान करते है ।यानि छोटे छोटे समूह को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहते ।शायद तेजस्वी मान कर चल रहे है कि अभी नहीं तो कभी नहीं ।यही वजह है का वे अभी कोई भी ऐसा मौका चूकना नहीं चाहते जिसमें कोई लाभ हो ।यही वजह है कि चाहे आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात हो या फिर जातीय गणना के आधार पर 94 लाख परिवार को 2,2 लाख रुपया देने की मांग ।तेजस्वी की नजर हर वोट बैंक पर है ।हालांकि इस मिशन में वो कितना कामयाब होते है इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा लेकिन राजद भी जानती है कि बूंद बूंद से ही तालाब भरता है और लालू तो बैलेट बॉक्स से जिन्न निकलने में माहिर जो ठहरे।इसीलिए तेजस्वी अभी अकेले सब पर भारी दिखते नजर आ रहे हैं।
लेखक : अशोक कुमार मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार