राजद अध्यक्ष बनना चाहते हैं तेजस्वी, निर्णय लेने में चाहते हैं परिवार और पार्टी दोनों तरफ से पूरी छूट

PATNA : तेजस्वी का बाल हठ राजद पर भारी पड़ रहा है। तेजस्वी के दिल्ली से नहीं आने के कारण पार्टी ने शनिवार को सदस्यता अभियान की समीक्षा के लिए बुलायी गई विस्तारित बैठक अंतिम क्षणों में रद कर दी। पार्टी की ओर से बताया गया कि बैठक अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दिया गया है। करीब सवा महीने बाद पटना लौट रहे नेता प्रतिपक्ष की अगवानी के लिए बैंड बाजा और फूल माला के साथ एयरपोर्ट पर नेता और कार्यकर्ता इंतजार करते रहे गए। सुबह दस बजे की फ्लाइट आई, लेकिन उनके नेता नहीं आए। काफी देर इंतजार करने के बाद निराश नेता और कार्यकर्ता वापस लौट गए।

इस बीच राबड़ी आवास पर भी तीन बजे से प्रस्तावित बैठक की तैयारियां सुबह से ही शुरू हो गई थीं। लेकिन तेजस्वी के नहीं आने की जानकारी मिलने के बाद पार्टी की ओर से बैठक का स्थगित करने की घोषणा की गई। शुक्रवार को पूर्व सीएम राबड़ी देवी की अध्यक्षता में चार घंटे चली बैठक को शनिवार तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। राबड़ी देवी ने बैठक में बताया था कि तेजस्वी यादव शनिवार को बैठक में शामिल होंगे।

तीन महीने से पार्टी की गतिविधियों से अलग हैं नेता प्रतिपक्ष : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पिछले तीन महीने से पार्टी की गतिविधियों से पूरी तरह अलग हैं। इस दौरान उन्होंने लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए बुलायी गई बैठक के अलावा छह जुलाई को आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में हिस्सा लिया था। तीन से छह जुलाई के बीच वे पटना में रहे, दो दिन विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया। लेकिन मीडिया के साथ-साथ पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से दूरी बनाए रखी। पांच जुलाई को पार्टी की स्थापना दिवस समारोह में नहीं शामिल हुए।

राजद पर एकाधिकार और कानूनी पचड़ों से राहत के लिए राजद नेता तेजस्वी यादव दिल्ली में जमे हैं। वो राजद के राजनीतिक निर्णय लेने में परिवार और पार्टी दोनों तरफ से पूरी छूट चाहते हैं। वहीं बेटी मीसा भारती और बड़े बेटा तेजप्रताप चाहते हैं कि 10 सर्कुलर रोड में तेजस्वी के सामने राजद की राजनीति में उनकी भी हिस्सेदारी स्पष्ट करके ही आगे की राजनीति लाइन तय हो। पिछले ढाई महीनों से तेजस्वी दिल्ली में अपने कानूनी पचड़ों से राहत की उम्मीद में कई राजनीतिक दरवाजा खटखटा चुके है। मथुरा रोड के फार्म हाउस में भाजपा के बिहार से जुड़े बड़े नेता से उनकी तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। पर भाजपा नेता की शर्तों पर राजद नेतृत्व अभी तैयार नहीं दिख रहा है। तेजस्वी की बात पर अभी खुद लालू यादव भी इत्तफाक नहीं रखते हैं। लालू ने रघुवंश बाबू को सेकुलर लाइन पर चलने की नीति पर कायम रहने को कहा है। ऐसे में तेजस्वी अपनी शर्तों पर राजनीति करने के लिए पार्टी पर एकाधिकार चाहते हैं जो फिलहाल पूरा नही होता देख बैठकों से ही खुद किनारा कर लिया है।

तेजस्वी की अनुपस्थिति के मामले पर शिवानंद तिवारी और रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे पार्टी के बड़े नेता नाराजगी जता चुके हैं। शिवानंद तिवारी ने कहा कि तेजस्वी के मीटिंग में रहने ना रहने से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। तेजस्वी हमारे नेता हैं वो नेता प्रतिपक्ष हैं। हम उम्मीद करते हैं कि तेजस्वी आगे की मीटिंग में रहेंगे। रघुवंश प्रसाद सिंह तो इस सवाल को ही टाल गए। कहा, वे हमारे सीएम पद के उम्मीदवार है और सीधा शपथ लेने आएंगे।

गरीबों को धोखा देकर पैसे और परिवारवाद की राजनीति करने वाले राजद की नाव को जब उसके मांझी ही डुबोने पर लगे हैं, तब जो लोग किसी मजबूत जहाज पर छलांग लगा कर शरण पाना चाहते हैं, वे बेचैन हैं। ऐसे लोग भाजपा-जदयू के समय-सिद्ध गठबंधन के टूटने की अटकलबाजी में दिन गुजार रहे हैं। -सुशील मोदी, उपमुख्यमंत्री

रात में ही राबड़ी देवी ने शनिवार की राजद की बैठक में आने के लिए तेजस्वी को खुद तीन बार फोन किया। लेकिन तेजस्वी से उनकी बात नहीं हुई। राबड़ी ने इसी उम्मीद में शनिवार को बैठक रखी थी कि बैठक में तेजस्वी को बुलाकर तमाम मनभेद दूर कर दिया जाएगा। पर, तेजस्वी के सहयोगियों का कहना है कि पार्टी के निर्णय में जबतक एकाधिकार नहीं मिलेगा, तब तक वे बैठक में शामिल होना नहीं चाहते। तेजस्वी ने बैठक से किनारा कर अपना स्टैंड स्पष्ट कर दिया।

तेजस्वी यादव कहां तो राष्ट्रीय जनता दल का नेतृत्व करने चले थे, लेकिन वे तो भगोड़ा बन बैठे। बिहार की राजनीति उनके बूते की बात नहीं। ऐसे में उन्हें अपने अल्पकालिक राजनीतिक सफर से संन्यास ले लेना चाहिए। डूबते नाव की सवारी कोई भी नहीं करना चाहता। -संजय सिंह, मुख्य प्रवक्ता, जदयू

तेजस्वी अपने दायित्वों से भाग रहे हैं। उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं। तेजस्वी का गायब रहना यह बताता है कि उन्हें राज्य की जनता और विधायी कार्यों से कोई मतलब नहीं है। वे सिर्फ अपना वजूद कायम रखने के लिए विपक्ष का नेता का तगमा लिए घूम रहे हैं। -मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री

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