रक्षाबंधन की ऐसी-ऐसी दिलचस्प कहानियां हैं, जिन्हें जाने बगैर आप नहीं रह सकते

पटना : भाई और बहन के प्रेम और रक्षा का त्योहार रक्षाबंधन (राखी) इस साल 15 अगस्त को है। बाजार में राखी की दुकानें सज चुकी हैं और त्योहार को लेकर भाई-बहनों ने खरीदारी भी शुरू कर दी है। ऐसे में कई लोगों के जहन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि आखिरकार रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कैसे हुई। किन-किन लोगों ने रक्षाबंधन त्योहार को मनाया है तो हम आपको बता दें कि रक्षाबंधन का त्योहार सदियों से चला आ रहा है। इसको लेकर एक कहानी यह है कि यमराज की बहन यमुना थीं, जिन्होंने अपने भाई यमरान की कलाई पर राखी बांधी थी और लंबी आयु का आशीर्वाद दिया था। तब से यह त्योहार सावन पूर्णिमा पर हर साल मनाया जा रहा है। दूसरी कहानी- राजा इंद्र से जुड़ी है। कहा जाता है कि राजा इंद्र और राक्षसों में युद्ध छिड़ा था। युद्ध में इंद्र हारने वाले, तब उनकी पत्नी शुची ने गुरु बृहस्पति के कहने पर इंद्र की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था। इसके बाद राजा इंद्र ने दानवों को हरा दिया था। तीसरी कहानी महाभारत से जुड़ी है। इसमें पांडवों की जीत के लिए श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर को सेना की रक्षा के लिए राखी बांधने का सुझाव दिया था। इसके साथ की माता कुंती ने पोते अभिमन्यु और द्रोपदी ने श्रीकष्ण को राखी बांधी थी।

राखी के कारण सिकंदर की बच गई थी जान : नोबल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाल विभाग के दौरान हिंदू-मुस्लिम के बीच भाईचारे की भावना बढ़ाने के लिए रक्षासूत्र बंधवाया था। रवींद्रनाथ टैगोर ने हिंदू-मुस्लिम भाइयों को एक-दूसरे को रक्षा सूत्र बांधने के लिए प्रोत्साहित किया। इतना ही नहीं विश्व विजेता सिकंदर से जुड़ी भी कहानी है। सिकंदर की पत्नी ने हिंदू राजा पुरु को राखी बांधकर अपना भाई बनाया था। एक बार सिकंदर और राजा पुरु के बीच युद्ध शुरू हुआ। युद्ध में पुरु ने हाथ में बंधी राखी का सम्मान रखते हुए सिकंदर को जीवनदान दिया था। मान्यता है कि राखी बांधन की परंपरा राजस्थान से शुरू हुई है। मेवाड़ की महारानी कर्णवाती ने राजा हुमायूं को राखी भेजी थी। हुमायूं ने राखी का मान रखा था।

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