दोगलागिरी : केंद्र को 150 रु में वैक्सीन तो राज्यों से 400 और PVT अस्पतालों से 600 रु. क्यों?

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम ने वैक्सीन की कीमतें दोगुनी से ज़्यादा कर दी हैं। कंपनी ने ऐलान किया कि केंद्र सरकार को वैक्सीन 150 में मिलती रहेगी लेकिन राज्य सरकारों को कोविशील्ड के एक डोज के लिए अब 400 रुपए और निजी अस्पतालों को 600 रुपए चुकाने होंगे।अभी तक सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन फ्री में लगती थी जिसकी सप्लाई केंद्र सरकार राज्यों को फ़्री में कर रही थी। जबकि निजी अस्पतालों में 250 रुपए लिए जाते थे क्योंकि सरकार उन्हें150 रुपए में वैक्सीन दे रही थी। अब चूंकि 1 मई से 18 साल से ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन लगने वाली है, इसलिए सीरम 50% वैक्सीन सीधे केंद्र सरकार को जबकि बाकी 50% राज्य सरकारों और प्राइवेट अस्पतालों को सीधे बेच सकेगी।

सीरम नई व्यवस्था में भी केंद्र को 150 रुपए प्रति डोज में वैक्सीन बेचेगी, लेकिन राज्य सरकारों से 400 रुपए और निजी अस्पतालों से 600 रुपए लेगी। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कोविशील्ड को एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड ने मिलकर डवलप किया है और सीरम सिर्फ प्रोडक्शन करती है। चूंकि 1 मई से शुरू होने वाले अभियान को देखते हुए वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में रॉ मैटेरियल और रॉयल्टी के अतिरिक्त भार को घटाने के लिए सीरम ने वैक्सीन के रेट बढ़ाए हैं।

लेकिन सवाल खड़े होते हैं कि

सीरम इंस्टिट्यूट जब केंद्र सरकार को 150 रुपए में वैक्सीन दे सकती है तो फिर राज्य सरकारों से 400 रुपए और निजी अस्पतालों से 600 रुपए क्यों लिए जा रहे हैं? अगर हमें बड़ी आबादी को वैक्सीनेट करना है और सरकार चाहती भी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगे तो राज्य और निजी अस्पतालों के लिए भी कीमतें वही होनी चाहिए जो केंद्र सरकार के लिए है।

निजी अस्पताल 600 कीमत और अन्य चार्ज मिलाकर एक डोज 700 रुपए में लगाएंगे और यदि 150 में मिलती रही तो 250 में ही लगा सकेंगे। सरकारी अस्पतालों में जहां सरकारों ने घोषणा कर दी है वहां फ्री लेकिन जिन प्रदेशों ने अभी कॉल नहीं लिया है वहां किस रेट पर लगेगी ये स्पष्ट नहीं है।क्या यह कोशिश नहीं होनी चाहिए कि जब हम 100% वैक्सीनेशन की तरफ जाना चाहते हैं तो समान कीमतें रखी जाएं?

कई राज्य अभी फ्री वैक्सीन पर खामोश हैं। जबकि बिहार, यूपी, मप्र और छत्तीसगढ़ ने 1 मई से फ्री वैक्सीनेशन का ऐलान कर दिया है। निर्णय स्वागतयोग्य है।
सवाल यही है कि जब देश जिंदगी और मौत के बीच फंसा हो और इससे निकलने का एकमात्र रास्ता वैक्सीन ही नजर आ रहा हो, तो ऐसे में सरकार की पहली प्राथमिकता लोगों की जिंदगी बचाना होना चाहिए। केंद्र सरकार को तत्काल इसमें दखल देकर तय करना चाहिए कि जब वो 50% वैक्सीन 150 रुपए में खरीद सकती है तो 100% भी खरीद सकती है। ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां दांव पर जिंदगी लगी हुई है। प्रत्येक नागरिक को वैक्सीन मिले, यही आपका पहला कर्तव्य होना चाहिए।
या तो इसे फ्री कीजिए, या पुरानी कीमतें ही रखिए;

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