मोटापे से ना हो परेशान, वजन घटना चाहते हैं, तो रोज खाएं दही, चीनी खाने से परहेज करें
PATNA : दही में उपलब्ध लैक्टोबैसिलस, पेप्टोस्ट्रेप्टोकोकस, बाइफिडोबैक्टीरियम और क्लॉस्ट्रीडियम जैसे ‘गुड बैक्टीरिया’ न सिर्फ बड़ी आंत के कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में तेजी से फलते-फूलते हैं, बल्कि ‘बैड बैक्टीरिया’ को पनपने और आंत की बाहरी परत को नुकसान पहुंचाने से भी रोकते हैं। आंत की बाहरी परत बैक्टीरिया रोधी प्रोटीन का निर्माण कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करने के लिए अहम मानी जाती है।
दही दूध में जीवाण्विक किण्वन (बैक्टीरियल फर्मेंटेशन) की प्रक्रिया से तैयार होती है। इसके तहत मानव सेहत के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया दूध में मौजूद ‘लैक्टोज’ नाम की शक्कर को लैक्टिक एसिड में तब्दील करते हैं। लैक्टिक एसिड दूध को गाढ़ा करने, जमाने और खट्टापन देने के लिए जिम्मेदार होता है।
दही के बिना खाना अधूरा लगता है? दिन की शुरुआत एक गिलास छाछ से करते हैं? अगर हां तो खुश हो जाइए। ‘द न्यू इंग्लैंड जर्नल’ में छपे एक शोध में दही को न सिर्फ वजन घटाने, बल्कि टाइप-2 डायबिटीज और हृदयरोगों से बचाव में भी कारगर करार दिया गया है। यह अध्ययन 20 साल से अधिक उम्र की 1,20,877 महिलाओं पर आधारित है। हाजमा दुरुस्त रखने और त्वचा-बालों की चमक बढ़ाने में दही की भूमिका से तो शायद ही कोई अनजान होगा।
गठिया, अस्थमा जैसे हड्डी-श्वास रोगों से पीड़ित हैं तो दही से दूर रहें। सर्दी-जुकाम में रात में दही खाने पर बढ़ जाती है कफ की समस्या। मांस-मछली या दूध के साथ दही खाने पर बिगड़ सकता है हाजमा।
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