‘मोदी-नीतीशा सरकार में यदि बिहारी आदमी मर जाए तो किसी को जरा सा भी फर्क नही पड़ता’

PATNA : इस देश मे यदि बिहारी आदमी म’र जाए तो किसी को जरा सा भी फर्क नही पड़ता. कल महाराष्ट्र के पुणे में दीवार ढह जाने से जिन 15 लोगों की मौ’त हो गई है वह सभी बिहार के कटिहार ज़िले के रहने वाले थे. यदि यही घटना पंजाब हरियाणा या दिल्ली में हुई होती और वहाँ के स्थानीय रहवासी प्रभावित होते तो हंगामा मच जाता बिहार में भी इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया सामने नही आई, बिहार से जुड़े कितने नेताओं ने इस संबंध में शोक संदेश तक ट्वीट किया ? शायद किसी ने नही?

कुछ दिन पहले जब मुजफ्फरपुर चमकी बुखार के कारण चर्चा में था तब 18 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिमाग़ी बुखार के मरीज़ों का हाल जानने के लिए मुज़फ्फ़रपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दौरा करने गए थे. बीच के एक गाँव वालों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनएच-22 से होकर जाएंगे इसी को देखते हुए सड़क का घेराव कर दिया था.उन्होंने अपने यहां की समस्याओं मसलन पीने का पानी, बुखार से इलाज की व्यवस्था की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन किया, पुलिस ने रोड घेराव के कारण ही 19 नामजद और 20 अन्य के खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है. नामजदों में क़रीब आधे दर्जन वे लोग हैं जिनके बच्चों की मौत बुखार से हुई जबकि मुख्यमंत्री तो रोड से भी नही गए वह हेलीकॉप्टर से दौरा कर आए.

ऐसा किस राज्य मे होता है कि जिसके बच्चे मर गए पुलिस उसी के विरुद्ध केस दर्ज कर ले किसी ने उनकी सुध नही ली बिहारी अस्मिता की बात अब लोगो को सिर्फ छठ पूजा के समय ही याद आती है, बिहारी ही बिहारी की पूछ परख नही रखता. लेखक : गिरीश मालवीय, पत्रकार(फेसबुक वॉल से साभार)

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