वशिष्ठ नारायण सिंह : गणित का वो भगवान जिसे सिस्टम ने पागल बना दिया-आज ICU में भर्ती हैं

PATNA: प्रख्यात गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह को पटना के PMCH में भर्ती करवाया गया है। वो ICU में भर्ती हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक उनको इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस है।

वशिष्ठ नारायण सिंह की दिमागी हालत आज ठीक नहीं है तो उसका जिम्मेदार कहीं ना कहीं हमारा सिस्टम है। एक ऐसा भारतीय जिसने देश की सेवा करने के लिए अमेरिका का बड़ा ऑफर ठुकरा दिया। सरकारी सिस्टम ने उसे भी नहीं बख्शा और इलाज के लिए मिलने वाली सहायता तक बंद कर दी। देशभक्ति के लिए अमेरिका से वो भारत लौट तो आए लेकिन उनकी हालत ही खराब हो गई। एक बार तो वे लोगों का झूठा खाना तक खाते मिले।

वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1946 को हुआ। उन्होंनें 1958 में बिहार मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। हायर सेकेंड्री की परीक्षा में भी उन्हें सर्वोच्च स्थान मिला। पटना विश्वविद्यायल ने इनके लिए अपना कानून तक बदल दिया और इन्हें सीधे ऊपरी कक्षा में दाखिला दिया। वहां से सिंह ने BSC आनर्स की परीक्षा में भी सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। 1965 में सिंह को बर्कले विवि में आमंत्रण मिला। वे अमेरिका गए और नासा में भी काम किया। 1967 में सिंह को कोलंबिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमैटिक्स का निदेशक बनाया गया।

बर्कले यूनिवर्सिटी ने उन्हें जीनियसों का जीनियस कहा। 1971में सिंह वापस भारत लौट आए और IIT कानपुर, आइआइटी कानपुर में प्राध्यापक, टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च (ट्रांबे) तथा स्टैटिक्स इंस्टीट्यूट के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे। 1973 में उनकी शादी हुई। जनवरी 1974 में उन्हें दिमागी बीमारी के चलते रांची के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। चार साल बाद उन्हें 1978 में सरकारी मदद मिलनी शुरू हुई। जनू 1980 में उन्हें सरकार द्वारा इलाज के लिए पैसा मिलना बंद हो गया।

1982 में उन्हें एक अस्पताल में बंधक बनाया गया। 1989 में वो गढवारा रेलवे स्टेशन से लापता हो गए। इसके बाद फरवरी 1993 में छपरा के डोरीगंज में एक होटल के बाहर वो लोगों द्वारा फेंकी गई झूठन में खाना तलाशते दिखे। तब से अब तक उन्हें सरकारी इलाज के नाम पर कभी कभी सहायता मिली। अब डॉ सिंह पिछले दो दिनों से पटना के PMCH के ICU में हैं। जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

उनकी देशभक्ति ही थी कि उन्होंने अमेरिका का ऑफर ठुकरा दिया और अपने देश की सेवा करने भारत चले आए। यहां के सिस्टम ने उन्हें पागल बना दिया और उसकी वजह से ही आज उनकी यह हालत है। ठवे भाई-भतीजावाद वाली कार्यसंस्कृति में खुद को फिट नहीं कर पाए। कई और बातें हैं। शोध पत्र की चोरी, पत्नी से खराब रिश्ते इन्हीं कारणों की वजह से उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ा। फिर सरकार और सिस्टम की बारी आई। नतीजा सामने है।

– मधुरेश सिंह की फेसबुक पोस्ट से साभार

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