मेहनत के मिसाल है हम बिहारी, घर में खुशहाली लाने के लिए 50 % लोग बाहर जाते हैं कमाने

PATNA: बिहार में आधे से अधिक घरों के लोग कमाने के लिए राज्य से बाहर चले जाते हैं. यह खुलासा इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज (आइआइपीएस) के हाल के अध्ययन में हुआ है. इसके अनुसार बिहार के आधे से अधिक घरों के लोग कमाने के लिए देश के भीतर या बाहर अधिक विकसित स्थानों पर चले जाते हैं. साथ ही राज्य के अधिकतर परिवार बाहर कमाने वालों से मिलने वाली आर्थिक मदद पर निर्भर हैं.

इस संबंध में आइआइपीएस द्वारा मध्य गंगा मैदान से पलायन के संबंध में अध्ययन करवाया गया था. इसकी रिपोर्ट को आइआइपीएस निदेशक केएस जेम्स और राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्णंदन प्रसाद वर्मा ने संयुक्त रूप से जारी की है. रिपोर्ट में सर्वेक्षण के लिए 36 गांवों और 2270 घरों को शामिल किया गया है. इससे पता चलता है कि आजीविका के लिए बाहर जाने में पुरुषों की भूमिका महत्वपूर्ण है. खासकर सारण, मुंगेर, दरभंगा, कोसी, तिरहुत और पूर्णिया से आजीविका के लिए लंबे समय से लोग बाहर जा रहे हैं. वहीं, समय-समय पर और खास अवसरों पर कोसी, तिरहुत और पूर्णिया के इलाकों से लोग राज्य से बाहर जाते हैं.

इनमें सबसे अधिक संख्या ओबीसी, एससी और एसटी के लोगों की है. अधिक संख्या भूमिहीन और एकल परिवारों के लोगों की : बिहार से बाहर कमाने जाने वालों में सबसे अधिक भूमिहीन और एकल परिवारों के लोग हैं. इनकी औसत आयु 32 वर्ष है. कमाने बाहर जाने वालों के घरों की 47 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं और उनमें से 22 फीसदी मजदूरी के लिए काम करती हैं. अधिकतर एकल परिवार की महिलाएं हैं. इनमें से तीन चौथाई महिलाओं से उनके पुरुष मोबाइल से प्रतिदिन बात करते हैं. केवल 29 फीसदी महिलाएं स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं और 80 फीसदी महिलाओं के पास अपने बैंक खाते हैं.

बाहर कमाने जाने वालों और राज्य में रहने वालों की महिलाओं का मानना है कि पुरुषों को बाहर कमाने से उनके घर स्थिति में सुधार हुआ है. उनकी आर्थिक समृद्धि, लाइफस्टाइल सहित उनके बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार हुआ है. बिहार से खास अवसरों पर बाहर कमाने जाने वालों की संख्या अधिक है. करीब 90 फीसदी लोग कुछ समय के लिए जाते हैं. बिहार से 31 फीसदी पंजाब और उत्तर प्रदेश से 27 फीसदी समय पर महाराष्ट्र चले जाते हैं. लगभग 46 फीसदी लोग महीने के अंत में पैसा कमाकर लौटते हैं, जबकि 48 फीसदी लोग अपना पैसा बैंक के माध्यम से भेजते हैं.

अध्ययन से यह पता चलता है कि 75 फीसदी प्रवासियों की वापसी के बाद उनकी पारिवारिक आय, पारिवारिक संबंध और सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है. उनमें से 25 फीसदी फिर से पलायन करना चाहते हैं जबकि दो-तिहाई अपने बच्चों को रोजगार के लिए पलायन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

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