नवरात्रि 2019 : माता को किस दिन चढ़ाएं कौन सा भोग, देवी दुर्गा की साधना से पहले कर लें तैयारी

Which day to offer to Goddess, which indulgence should be prepared before the practice of Goddess Durga : 10 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो रही है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। मां दूर्गा के भक्त नवरात्रि के आगमन होने से पहले ही तैयारियों में जुट जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में हर तिथि का अपना महत्व होता है जिसमें 9 दिनों तक देवी की आराधना की जाती है और देवी को प्रसन्न करने के लिए हर तिथि पर अलग-अलग भोग अर्पित किया जाता है। माता को भोग अर्पित कर अपने जीवन से सारे कष्ट दूर किये जा सकते हैं।

प्रतिपदा तिथि : नवरात्रि का पहला दिन प्रतिपदा तिथि से आरम्भ होता है। इस दिन माता के पहले स्वरूप मां शैल पुत्री की आराधना की जाती है। प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री को शुद्ध देसी घी का भोग लगाएं। इससे रोगों से मुक्ति मिलती है द्वितीया तिथि : इस दिन देवी के ब्रह्राचारिणी रूप की पूजा होती है। द्वितीया तिथि पर देवी को शक्कर और फल का भोग लगाकर दान करें इससे दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।

तृतीया तिथि : इस तिथि पर देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा होती है इस दिन दूध से बनी चीजों का भोग लगाने और उसका दान करने से मां प्रसन्न होती है सभी तरह के दुखों का नाश करती हैं। चतुर्थी तिथि : नवरात्रि की इस तिथि पर देवी को मालपुए का भोग लगाना चाहिए और प्रसाद को ब्राह्राण को दान करें। इससे बुद्धि और कौशल का विकास होता है साथ ही निर्णय क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

पंचमी तिथि : यह तिथि मां स्कंदमाता को समर्पित होती है। इस दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और दान करना चाहिए इससे बुद्धि का विकास होता है। षष्ठी तिथि : माता को इस तिथि पर शहद का भोग लगाना चाहिए। इस तिथि पर मधु से पूजन का विशेष महत्व होता है। शहद के भोग से सुंदर काया का निर्माण होता है।

सप्तमी तिथि : इस तिथि पर भगवती को गुड़ का भोग लगाना चाहिए और उसका दिन ब्राह्राण को करना चाहिए ऐसा करने से व्यक्ति शोक मुक्त होता है। अष्टमी तिथि : इस तिथि पर मां दुर्गा को नारियल का भोग लगाना चाहिए और इसका दान करना चाहिए। इससे हर तरह की पीड़ा का शमन होता है। ऐसा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है।

नवमी तिथि : नवमी तिथि पर माता को अलग- अलग तरह के अनाजों से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है और फिर उसे दान किया जाता है। इसे जीवन में सुख और समृद्धि आती है। साथ ही दशमी तिथि को काले तिल का भोग अर्पित कर देने से परलोक का भय नहीं रहता।

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