अहमदाबाद सील, दिल्ली और केरल से मांगी गयी डॉक्टरी मदद, ये मोदीजी का कैसा गुजरात मॉडल है भाई?

गुजरात में 182 मौ/तें सिर्फ पिछले छह दिनों में हुई हैं। मतलब कुल मौतों की 46 फीसदी मौ/तें पिछले छह दिनों में हुई हैं। कुल मृ/त्यु का आंकड़ा 6 मई को 396 तक पहुंच गया है और केन्द्र सरकार और मीडिया का सारा ध्यान बंगाल पर लगा हुआ था। यदि आपने पिछले कुछ दिनों से टीवी चेनलो की खबरे ध्यान से देखि हो तो आप पाएंगे कि बंगाल में ममता बनर्जी की कोरोना से निपटने के विफलता को खूब हाइलाइट किया गया है वही उसके बनिस्बत गुजरात अहमदाबाद की कोई बात तक करने को तैयार नहीं था क्योकि जैसे ही वहां की बात होगी लोगो को नमस्ते ट्रम्प प्रोग्राम की याद आ जाएगी.

आज अहमदाबाद के हालात यह है कि कई मरीज अस्पताल आने के 30 मिनट के अंदर ही द/म तोड़ रहे हैं। ऐसी परिस्थतियो को देखते हुए कल रात निर्णय लिया गया है कि दवा और दूध को छोड़कर क्षेत्र में सभी दुकानों को 7 दिनों के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया है। अगर आप इस से संबंधित खबरे तलाशोगे तो सभी में इसका जिम्मेदार अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को ठहराया जा रहा है आज तक लिख रहा है ‘अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के फैसले के बाद जिले के लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भूल गए और लोगों की भारी भीड़ दुकानों पर जम गई. लोग सड़कों पर ऐसे घूम रहे थे, जैसा कि सब कुछ ठीक हो गया हो’.

न्यूज़ वेबसाइट ऐसे पेश कर रही है जैसे सारी गलती ‘अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन’ की है और राज्य की बीजेपी सरकार केंन्द्र की मोदी सरकार की कोई गलती नहीं है न्यूज़ चैनल बता रहे है कि होम डिलीवरी, स्विग्गी और जमाटो जैसी सेवाओं पर भी पाबंदी लगा दी गई है लेकिन वो ये बताए कि अब तक ये सर्विसेस चालु कैसे थी अहमदाबाद के हालात इतने खराब है कि यह शहर बुरी तरह कोरोनावायरस की चपेट में आ गया है. यहां अब तक कोरोना के 4 हज़ार 761 मरीज़ सामने आ चुके हैं अहमदाबाद में संक्रमण की दर राष्ट्रीय दर से दोगुनी से भी ज़्यादा है.

शहर में लगभग 20 हज़ार लोग क्वारंटाइन में हैं जबकि 298 लोगों की मौत हो चुकी है.शहर के 1000 बेड की क्षमता वाले 9 प्राइवेट अस्पतालों को भी टेकओवर कर लिया गया है. सभी प्राइवेट क्लिनिक, नर्सिंग होम और अस्पतालों को नोटिस देकर अगले 48 घंटे में खोलने का आदेश दिया गया है और ऐसा नहीं करने पर उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे. गुजरात के कुल केस में से 70 फीसदी अकेले अहमदाबाद में दर्ज हुए हैं.वहा लगभग कर्फ्यू लगा दिया है इस आदेश को सख़्ती से लागू करने के लिए शहर में पैरामिलिट्री के जवानों को उतारा गया है. अहमदाबाद में पैरामिलिटरी फोर्स की 38 कंपनियां सड़कों पर गश्त कर रही हैं. इनमें 4 BSF और 1 CISF की कंपनी केंद्र की ओर से भेजी गई है.

हालत इतने खराब है कि एम्स दिल्ली से तीन विशेषज्ञ जल्द ही एक विशेष विमान से अहमदाबाद भेजने की तैयारी है। गुजरात को इस बुरी हालत में पुहचाने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ बीजेपी की राज्य और केंद्र सरकार की है।
-Girish Malviya

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