5 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद होने की कगार पर, कोरोबारी और मजदूर आर्थिक संकट में फंसे, हालत खराब

नोएडा में पांच हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद होने की कगार पर, सबसे ज्यादा असर गारमेंट और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली फैक्ट्रियों पर

लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था का पहिया पटरी से उतर गया है. अकेले गौतमबुद्ध नगर में 300 से ज्यादा फैक्ट्रियों पर ताले लग गए हैं और पांच हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद होने की कगार पर हैं. सबसे ज्यादा असर गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली फैक्ट्रियों पर पड़ा है. गारमेंट की फैक्ट्री में रखी लाखों की मशीनें धूल खा रही हैं और सैकड़ों लोगों के काम करने की जगह पर सन्नाटा पसरा है. 

व्यापारी 45 साल के मुकेश अपने कारोबार को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं. इस फैक्ट्री में बने कपड़ों की खासी मांग अमेरिका में है. लेकिन पहले लॉकडाउन, फिर अमेरिकन गारमेंट कंपनी के दिवालिया होने के चलते मुकेश को करोड़ों का नुकसान हुआ है. नोएडा के बिजनेसमैन मुकेश साहू ने कहा कि अभी हालात अच्छे नहीं हैं. तीस फीसदी फैक्ट्री ही हम चला रहे हैं. हमारा एक बड़ा कस्टमर बैंकरप्ट हो गया है. हम लोग लगे हैं कि कैसे बाहर निकलें, लेकिन हल नहीं निकल रहा है. 

गारमेंट ही नहीं लघु मध्यम उद्योगों की हालत अच्छी नहीं है. नोएडा के इंडस्ट्रियल इलाके में सन्नाटा पसरा है और हर दूसरी तीसरी फैक्ट्री में TO LET यानी फैक्ट्री खाली है, के बोर्ड टंग चुके हैं. नोएडा सेक्टर 63 की एक फैक्ट्री में 400-500 लोग काम करते थे लेकिन अब बंद हो चुकी है.

गौतमबुद्ध नगर में इस तरह की स्माल इंडस्ट्री की तादात 18 हजार है लेकिन MSME इंडस्ट्री के नोएडा अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा कहते हैं कि पांच हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां बंदी की कगार पर हैं. सुरेंद्र नाहटा ने कहा कि कामर्शियल एक्टीविटी बंद होने से माल नहीं जा रहा है. जो मजदूर हैं उनका बनाया माल जा नहीं रहा है, डंप पड़ा है.

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