गैंडों की सुरक्षा को लेकर सक्रिय योगी सरकार, Dudhwa National Park में बनेंगे दो पुनर्वास केंद्र

By Rajveer

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Dudhwa National Park

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने Dudhwa National Park में गैंडों के संरक्षण के लिए दो नए पुनर्वास केंद्र बनाने का बड़ा फैसला लिया है। इस कदम से पहले से चल रहे वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रम को और मजबूती मिलेगी।

पृष्ठभूमि

दुधवा नेशनल पार्क में एक सींग वाले गैंडों को फिर से लाने की योजना 1984 में शुरू हुई थी। उस समय असम और नेपाल से पांच गैंडों को लाकर 27 वर्ग किलोमीटर के संरक्षित क्षेत्र आरआरए-1 में रखा गया था। नतीजतन, आज वहां गैंडों की संख्या 40 से 46 के बीच पहुंच गई है।

2018 में बढ़ती आबादी और आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने की जरूरत के चलते बेलरायां रेंज में आरआरए-2 की शुरुआत की गई, जहां कुछ गैंडों को स्थानांतरित किया गया। इस कदम से क्षेत्र में गैंडों की आनुवंशिक विविधता में सुधार हुआ है और उनकी संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।

नए केंद्र—भविष्य की दिशा

अब योगी सरकार दो नए पुनर्वास केंद्र बनाने की तैयारी कर रही है। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

  • संख्या नियंत्रण: मौजूदा परिक्षेत्रों में भीड़ के दबाव को कम करना।
  • आनुवांशिक विविधता: विभिन्न स्रोतों से नए गैंडों को लाकर आनुवंशिक पूल को मजबूत करना।
  • खुले जंगल में संक्रमण: पिंजरे में बंद गैंडों को फिर से खुले जंगल में छोड़ा जाना चाहिए ताकि वे नए वातावरण के अनुकूल हो सकें।

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इन नए केंद्रों से लॉजिस्टिक सपोर्ट, स्वास्थ्य निगरानी, ​​रेडियो कॉलर ट्रैकिंग और सटीक अनुकूलन प्रणाली को भी मजबूत किया जाएगा, ताकि ये गैंडे जंगल में आत्मनिर्भर बन सकें।

सामुदायिक भागीदारी और सुरक्षा

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, गैंडों का व्यवहार आबादी पर हमला करने का नहीं होता है – अगर उन्हें उकसाया न जाए। इसके साथ ही आसपास के गांवों को जागरूक करने और संघर्ष प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।

संरक्षण और पर्यटन के बीच संतुलन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुधवा को इको-टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने के निर्देश भी दिए हैं। उनके अनुसार पर्यटन के साथ-साथ गैंडों और अन्य वन्यजीवों को सुरक्षित संरक्षित क्षेत्र उपलब्ध कराने के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।

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निष्कर्ष

ये दो नए पुनर्वास केंद्र न केवल गैंडों की संख्या बढ़ाने का जरिया बनेंगे, बल्कि खुले जंगल में आनुवंशिक विविधता और पुनर्स्थापन के प्रयासों को आगे बढ़ाने का अवसर भी प्रदान करेंगे। इसके साथ ही स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षण, रोजगार और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद करने की पहल भी की जाएगी। इस योजना के सफल क्रियान्वयन से दुधवा राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव संरक्षण के एक मॉडल के रूप में उभरेगा।