आटो ड्राइवर के बेटा खेलेगा साउथ अफ्रीका के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिकेट, एक गरीब बाप का सपना हुआ साकार

PATNA- बिहार के सारण प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले गोपालगंज जिले के मुकेश कुमार सिंह का चयन दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय क्रिकेट वनडे टीम में हुआ है। अपने जिद और जुनून के बल पर पहले भारतीय टीम और फिर भारत की मुख्य टीम में स्थान बनाने वाले मुकेश सिंह की कहानी बाधा पर विजय की है। जो बधाई दे रहे हैं उन्हें भी जानना यह लाजमी है कि बिहार का यह लड़का किन संघर्षों से गुजर कर उस मुकाम तक पहुंचा है।

मुकेश कुमार सिंह गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं इनके पिता काशीनाथ सिंह कोलकाता में रहकर टैक्सी चलाया करते थे पिछले साल बीमारी के कारण उनकी मौत हो गई बेटे को आगे बढ़ाने के लिए खूब मेहनत की मुकेश ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत गोपालगंज से की फिर बिहार टीम में खेले पर यहां क्रिकेट का माहौल नहीं होने के कारण उन्होंने पश्चिम बंगाल का रुख किया तथा वहां के रणजी टीम में शामिल हुए अब उन्हें भारतीय टीम में तेज गेंदबाज के रूप में स्थान मिला है।

अपने संघर्ष के दिनों की चर्चा करते हुए मुकेश कहते हैं कि आधे पेट खाकर बिना किसी को चोर बेहतर माहौल के उन्होंने ग्रामीण स्तर से अपने क्रिकेट की शुरुआत की प्रारंभिक स्तर पर इतने ज्यादा लोगों ने हतोत्साहित किया कि कई बार क्रिकेट छोड़ने का भी मन हुआ पर पिता की प्रेरणा से लगातार आगे बढ़ते गए उन्होंने क्रिकेट के अलावा कुछ भी नहीं सोचा। गोपालगंज से पटना बस में पैसे नहीं होने के कारण कई बार छत पर बैठकर सफर भी किया।मुकेश बिहार के गापेालगंज के छोटे से गांव काकड़कुंड के रहने वाले हैं, जहां उन्होंने गांव की गलियों में क्रिकेट सीखा है।

यहां मिंज स्टेडियम में टैलेंट सर्च प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और बेहतर गेंदबाजी के तौर पर जिला क्रिकेट टीम में शामिल हुए। इसके बाद बंगाल टीम से रणजी और अंडर-19 में बेहतर प्रदर्शन किया।क्रिकेटर मुकेश कुमार बेहद साधारण परिवार से आते हैं। घर की माली हालत ठीक नहीं थी। तब उनके पिता कोलकाता में ऑटो चलाते थे। साथी क्रिकेटर और आस पड़ोस के लोग गेंद और कीट खरीदने के लिए पैसा देते थे। मुकेश की मां बताती हैं कि बेटे को बचपन से क्रिकेट खेलने का शौक था। टीवी पर जब भी बेटे को देखती हैं मां की आंखों से आंसू आ जाते हैं।

डबडबाइ आंखों से मां मालती देवी कहती हैं कि आज मुकेश के पिता जिंदा होते तो और खुशी होती। मुकेश के पिता काशीनाथ सिंह का पिछले साल निधन हो गया। पिता के निधन के बाद मुकेश पूरी तरह से टूट चुके थे पर उन्होंने अपने पिता के आंखों में वह जुनून देखा था जो बेटे को भारतीय क्रिकेट टीम में खेलते देखना चाहते थे भारतीय क्रिकेट टीम में चयन होने के बाद दूरभाष पर बात करते हुए कई बार मुकेश फफक पड़े। उन्होंने कहा कि जो मौका मिला है वह जरूर अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए बेहतर विकल्प में बदलेंगे।

Anoop Naraian Singh

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