कर्नाटक संकट: SC का स्पीकर के पक्ष में फैसला, फिर भी नहीं बचेगी कोंग्रस-जेडीएस सरकार !
डेस्क: कर्नाटक संकट पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि बागी विधायकों के इस्तीफों पर स्पीकर अपनी इच्छा के मुताबिक फैसला ले सकते हैं।साथ ही कोर्ट ने कहा कि बागी विधायकों को सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट की इस बैलेंस फैसले के बाद इस दोनों पक्ष अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। अब सबकी नजरें गुरुवार को होने वाले एचडी कुमारस्वामी के विश्वासमत पर है।
इस फैसले के बाद किसी भी स्थिति में एचडी कुमारस्वामी की सरकार बचती नजर नहीं आ रही है। बता दें कि कर्नाटक में स्पीकर को छोड़कर विधायकों की संख्या 223 है। बहुमत के लिए 112 विधायकों का समर्थन जरूरी है। कांग्रेस (78), जेडीएस (37) और बसपा (1) की मदद से कुमारस्वामी सरकार के पास अभी 116 विधायक हैं।
बागी विधायक अयोग्य करार दिए जाने पर
यदि स्पीकर बागियों को अयोग्य ठहरा देते हैं तो भी सदन में गुरुवार को विश्वास मत के दौरान सरकार को बहुमत के लिए 104 का आंकड़ा जुटाना होगा। यह उसके पास नहीं होगा। ऐसे में भी सरकार गिर जाएगी।
अगर बागियों के इस्तीफे मंजूर हुए
अगर स्पीकर बुधवार को इन बागियों के इस्तीफे मंजूर कर लेते हैं तो सरकार को बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी। सरकार के पास 100 का आंकड़ा होगा, जबकि भाजपा के पास 105 विधायक हैं और उसे दो निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है।
अगर बागियों ने सरकार के खिलाफ वोटिंग की
यदि 16 बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर नहीं होते हैं और वे फ्लोर टेस्ट के दौरान सरकार के खिलाफ वोटिंग करते हैं तो सरकार के पक्ष में 100 वोट पड़ेंगे। यह संख्या बहुमत के लिए जरूरी 112 के आंकड़े से कम होगी। ऐसे में कुमारस्वामी सरकार विश्वास मत खो देगी और सरकार के खिलाफ वोट करने पर बागियों की सदस्यता खत्म हो जाएगी।
बागी विधायकों के सदन से अनुपस्थित रहने पर
इस स्थिति में विश्वास मत के समय सदन में सदस्य संख्या 207 रह जाएगी। बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 104 का हो जाएगा। लेकिन, बागियों की अनुपस्थिति में सरकार के पक्ष में केवल 100 वोट पड़ेंगे और ऐसे में भी सरकार गिर जाएगी।
बता दें कि शीर्ष अदालत ने कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के बागी विधायकों और स्पीकर की याचिकाओं पर मंगलवार को ही सुनवाई पूरी कर ली थी। सभी संबंधित पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बागी विधायकों ने कोर्ट से मांग की थी कि वह स्पीकर को उनके इस्तीफों को स्वीकार करने का निर्देश दे जबकि स्पीकर ने कोर्ट से यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश को वापस लेने की मांग की थी।