चार बार टूटा IAS बनने का सपना, UPSC में पांचवीं बार में मिला ऑल इंडिया रैंक 4, मां-बाप का सपना हुआ साकार

आर्किटेक्ट से यूपीएससी टॉपर बने पीके सिद्धार्थ रामकुमार, कैसे हासिल की चौथी रैंक : यूपीएससी परीक्षा की चुनौतियों और जीत के बीच, सिद्धार्थ की AIR 4 हासिल करने की उल्लेखनीय उपलब्धि समर्पण और दृढ़ता की एक मिसाल है। दृढ़ता और रणनीतिक तैयारी से जुड़ी उनकी यात्रा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और मार्गदर्शन के परिवर्तनकारी प्रभाव को दर्शाती है। जब हम उनकी अंतर्दृष्टि और अनुभवों में तल्लीन होते हैं, तो हम उनकी सफलता के सार और उत्कृष्टता के लिए उनके मार्ग को आकार देने में RAU के IAS स्टडी सर्कल द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हैं।

केरल के रहने वाले सिद्धार्थ रामकुमार ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 में चौथा स्थान हासिल किया है. उनकी इस सफलता से उनका परिवार और मलयाली लोग काफी खुश हैं. सिद्धार्थ कोच्चि के मूल निवासी हैं. चिन्मय कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल राम कुमार के बेटे हैं. उनके भाई आदर्श केरल हाईकोर्ट के वकील हैं. सिद्धार्थ ने पांचवीं बार सिविल सेवा परीक्षा दी थी. इससे पहले दो बार उनका चयन आईपीएस के लिए हुआ था. इस बार पांचवें प्रयास में आईएएस के लिए उनका चयन हुआ. वह आसानी से आईएफएस भी चुन सकते हैं क्योंकि उन्हें चौथी रैंक मिली है.

पिछली बार सिद्धार्थ ने सिविल सेवा परीक्षा में 121वां स्थान हासिल किया था. वह हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण के साथ परिवार को बताए बिना फिर से सिविल सेवा परीक्षा दी. मुख्य परीक्षा सितंबर 2023 में आयोजित की गई थी. इसके बाद साक्षात्कार हुआ. मगंलवार को जारी रिजल्ट में उन्होंने चौथा स्थान हासिल किया.

परिवार को बताए बिना सिद्धार्थ ने दी सिविल सेवा परीक्षा
सिद्धार्थ के पिता टीएन रामकुमार और उनकी मां रति एर्नाकुलम में रहते हैं. वे बेटे की इस सफलता से काफी खुश हैं. हालांकि उन्हें पता नहीं था कि उनका बेटा इस बार भी सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुआ है. जब यह खबर सामने आई कि मलयाली सिद्धार्थ ने चौथी रैंक हासिल की है, तब भी दोनों को संदेह था कि यह उनका बेटा है या नहीं. रामकुमार ने कहा कि कल जब उन्होंने अपने बेटे सिद्धार्थ से फोन पर बात की तो उनसे सिविल सेवा परीक्षा के बारे में कोई संकेत तक नहीं दिया था. खबर आने के बाद मां रति ने अपने बेटे को फोन किया और पुष्टि की कि यह सिद्धार्थ ही है, जिसने चौथी रैंक हासिल की है.

पिता ने बेटे को आईएएस बनने के लिए किया प्रेरित
ईटीवी भारत से बात करते हुए सिद्धार्थ की मां ने बताया कि सिद्धार्थ बहुत पढ़ता था. वह पत्रिकाएं पढ़ता था और ऑनलाइन सामग्री सुनता था. वह दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान से जुड़ कर तैयारी करता था. सिद्धार्थ के पिता टीएन रामकुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि सिद्धार्थ का सपना आईएएस बनना था. केरल कैडर में आईएएस प्रशिक्षण का अवसर मिलना भी खुशी की बात है. उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ ने नियमित रूप से अध्ययन किया. वह लंबे समय तक बैठकर अध्ययन करता था. रामकुमार ने गर्व से कहा कि उनका सपना क्रिकेटर बनने का था, लेकिन उन्होंने अपने बेटे को आईएएस बनने के लिए प्रेरित किया. सिद्धार्थ ने एलकेजी से 12वीं तक की पढ़ाई चिन्मय स्कूल से की. पिता ने कहा कि बेटे की इस बड़ी उपलब्धि के पीछे वहां से मिली प्रेरणा भी है.

बी-आर्क के बाद शुरू की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी
सिद्धार्थ ने 2019 में बी-आर्क कोर्स पूरा किया और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. अपने पहले प्रयास में वह प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर पाए थे. इसके बाद 2020 में वह रिजर्व लिस्ट में जगह बनाने में सफल रहे थे. उन्हें भारतीय डाक और दूरसंचार लेखा एवं वित्त सेवा में पोस्टिंग मिली थी. फिर से उन्होंने 2021 में सिविल सेवा परीक्षा दी. उस समय उन्हें 181वीं रैंक मिली और उन्होंने आईपीएस के लिए क्वालिफाई किया. लेकिन उनका सपना आईएएस बनना था और सिद्धार्थ ने सिविल सेवा परीक्षा में अच्छी रैंक के लिए प्रयास जारी रखा. 2022 में उन्हें 121वीं रैंक मिली, जो उनके आईएएस के सपने को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी. हालांकि, उन्होंने छह महीने पहले आईपीएस ट्रेनिंग भी शुरू कर दी थी. सिद्धार्थ को बंगाल कैडर मिला था.

शारिका ने सिविल सेवा परीक्षा में हासिल की 922वीं रैंक
वहीं, केरल के कोझिकोड की रहने वाली शारिका ने शारीरिक चुनौतियों के बाद भी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 922वीं रैंक हासिल की. शारिका मस्तिष्क से संबंधित विकार सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) से पीड़ित थीं, लेकिन इन बाधाओं पर काबू पाकर उन्होंने सिविल सेवा का सपना पूरा किया. शारिका को तिरुवनंतपुरम के एब्सोल्यूट एकेडमी में ‘चित्रशालाभम’ प्रोजेक्ट के तहत ऑनलाइन तैयारी कर रही थीं. दो साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की. उन्होंने पिछली बार भी सिविल सेवा परीक्षा दी थी. लेकिन तक उनका चयन नहीं हो पाया था. दूसरे प्रयास में शारिका ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया.

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